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जश्न-ए-मौला अली महफ़िल में याद किए गए हजरत अली,

मौलाना चाँद मियाँ बरकाती को मिली खिलाफत

एटा. कस्बा पुरदिलनगर स्थित इमामबाड़ा मैदान पर जश्न-ए-मौला अली महफ़िल सजाई गई। महफ़िल की सरपरस्ती बिलग्राम शरीफ से आए हजरत सैयद अनस मियाँ ने की। महफ़िल में सैयद अनस मियाँ द्वारा मदरसा गुलशने बरकात के संस्थापक मौलाना चाँद मियाँ बरकाती को खिलाफत से नवाजा गया।

हजरत अली की याद में आयोजित हुई महफ़िल जश्ने मौला अली कार्यक्रम में तकरीर करते हुए हजरत सैयद अनस मियाँ ने कहा कि हजरत अली की पैदाइश 13 रजब को मुसलमानों के पवित्र धर्म स्थल खाना-ए-काबा में हुई थी। उनकी परवरिश भी रसूल के ही घर पर हुई। हजरत अली की शादी हुजूर की बेटी फातिमा जहरा से हुई थी। हजरत अली की मजार इराक के नजफ शहर में है। उन्होने कहा कि हजरत अली ने गरीबों की मदद, एक दूसरे के साथ मिलकर चलने और दुनिया में इंसानियत बनाए रखने का पैगाम दिया था। लोगों को उन्हीं के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। कार्यक्रम में नातख्वाओ द्वारा नात शरीफ पढ़ी गई। कार्यक्रम में हजरत सैयद अनस मियाँ ने मौलाना चाँद मियाँ बरकाती को खिलाफत से नवाजा। खिलाफत के मौके पर कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जमकर नारेबाजी की वही इस पल का इस्तकबाल किया। खिलाफत पाते हुए मौलाना चाँद मियाँ बरकाती ने कहा कि यह सब अल्लाह के करम और मेरे पीर की दुआओं का असर है। मुझे जो कुछ भी मिला है वह खानकाहे बरकातिया के दर से मिला है। उन्होंने कहा कि मेरे पीर हजरत सैयद हसन मियाँ कादरी साहब का हमेशा मुझ पर करम रहा है। मैं मारहरा के दर का भिखारी हूँ। उंन्होने कहा कि हजरत सैयद नजीब हैदर नूरी मियाँ की दुआओं का असर है कि मैं इस लायक बन सका। कार्यक्रम में बिलग्राम शरीफ से हाफ़िज़ मजहर औवेशी, हाफिज कारी चाँद मियाँ औवेशी, मौलाना नाजमुल कादरी, मौलाना अहमद रजा,
हाफ़िज़ जुबैर अजहरी, मौलाना फैज़ान, हाफ़िज़ असलम, हाफ़िज़ तनज़ीम, हाफ़िज़ फरमान कादरी ने भी तकरीर व नातों मनकबत पेश की। कार्यक्रम का सफल आयोजन कमेटी के मिम्बर मोहम्मद सलमान औवेशी, मोहम्मद जान औवेशी, अहमद रजा, हैदर अली, नदीम, जिया खां आदि ने किया।

संवाद। शोएब क़ादरी