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हज़रत मौलाना जियाउद्दीन साहब में सूफी बसंत उत्सव मनाया जाएगा

जयपुर, शहर की प्रसिद्ध दरगाह हज़रत मौलाना जियाउद्दीन साहब में सूफी बसंत उत्सव मनाया जाएगा। यह बसंत उत्सव दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद जैनुल आबेदीन उर्फ महमूद मियां साहब की सदारत में मनाया जाएगा। जिस में शहर की सभी कव्वाल पार्टियां भाग लेंगी। ऐतिहासिक दुश्य से सूफी बसंत दरगाहों को हज़रत अमीर खुसरो साहब की देन है जिन के द्वारा लिखे गए हिंदी सूफियाना कलाम बसंत के अवसर पर दरगाहों पर कव्वालों द्वारा पढ़े जाते हैं। चिश्तिया दरगाहो में सूफी बसंत भारत की गंगा–जमनी संस्कृति का जीता जागता उदाहरण है जिस में मुस्लिमों के साथ साथ हिंदू भाई भी शिरकत कर दरगाह पर गेहूं की बालियां और सरसों के फूल पेश करते हैं और मन्नतें मुरादें मानते हैं।
इस अवसर पर दरगाह के सज्जादानशीन द्वारा हिंदू शांति सौहाद्र ऐंव भाईचारे और मुल्क में तरक्की के साथ साथ सूफी संस्कृति की लोकप्रियता उन्नति ऐंव विकास के लिए दुआएं मांगी जाती हैं।
हज़रत आमिर खुसरो का यह कलाम बसंत उत्सव पर दरगाह शरीफ में पढ़ा जाता है।
*”सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों”*