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एचबीएनसी के जरिए आशा बचा रही नवजात की जान

आशाएं घर-घर जाकर कर रही नवजात की देखभाल, मां को दे रही ट्रेनिंग
नवजात मृत्यु दर में आ रही कमी

आगरा। (डीवीएनए)प्रसव के बाद नवजात के बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ जाती है। संस्थागत प्रसव के मामलों में शुरूआती दो दिनों तक मां और नवजात का ख्याल अस्पताल में रखा जाता है। लेकिन गृह प्रसव के मामलों में पहले दिन से ही नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। शिशु जन्म के शुरूआती 42 दिन अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान उचित देखभाल के अभाव में शिशु के मृत्यु की संभावना अधिक होती है।

ऐसे में होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर (एचबीएनसी) यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम काफी कारगर साबित हो रहा है। इस कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है। स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के साल 2020-2021 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 50.4 शिशु मृत्‍यु दर(एक हजार प्रति शिशु) है। तो वहीं साल 2015-2016 में शिशु मृत्‍यु दर (आईएमआर) 64 शिशु प्रति हजार थी। एनएफएचएस-5 के अनुसार 70 प्रतिशत नवजात शिशु को जन्म के 48 घंटों के भीतर गृह आधारित नवजात देखभाल की सुविधा मिली है।

गृह आधारित नवजात देखभाल पर अधिक ध्यान
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान आशाओं द्वारा किए जा रहे गृह आधारित नवजात देखभाल पर अधिक जोर दिया जाता है। इसके लिए आशाओं को निर्देशित भी किया गया है।

कि वह गृह भ्रमण के दौरान नवजातों में होने वाली समस्याओं की अच्छे से पहचान करें एवं जरुरत पडऩे पर उन्हें रेफर भी करें।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि आशाएं गृह भ्रमण के दौरान ना सिर्फ बच्चों में खतरे के संकेतों की पहचान करती हैं, बल्कि माताओं को आवश्यक नवजात देखभाल के विषय में जानकारी भी देती हैं। डॉ. वर्मन ने बताया कि गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम 2015 से यूनिसेफ तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है।

किए जाते हैं सात भ्रमण
नगला पदी क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता अर्चना गौड़ ने बताया कि एचबीएनसी कार्यक्रम के कारण जन्म के बाद शिशुओं में होने वाली जटिलताओं का भी पता चलता है। जिसका समय पर इलाज संभव ही पता है। कार्यक्रम के तहत आशाएं संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती है। एचबीएनसी के दौरान 7 बार (जन्म के 1, 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर) गृह भ्रमण करती हैं।

लाभार्थी मनीषा ने बताया कि आशा बहन ने हमें नवजात शिशु की देखभाल करने के बारे में बताया। उन्होंने मेरे प्रसव के बाद नवजात को घर पर आकर हमें जरूरी जानकारी दी। उन्होंने बच्चे नाभि पर कोई तेल इत्यादि नही लगाना है। उन्होंने बताया कि बच्चे को कैसे सर्दी से बचाना है। उन्होंने बताया कि हाथों को साफ करने के बाद ही स्तनपान करने के बारे में बताया।

संवाद:- दानिश उमरी