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विश्वविद्यालय में चल रहे सात दिवसीय विज्ञान प्रसार महोत्सव के चौथे दिन रहीं क्या गतिविधियां जानिए

आगरा। (डीवीएनए)डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में सात दिवसीय विज्ञान प्रसार महोत्सव के चौथे दिन आज 25.2.22 को डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के प्रति कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा जी और डॉ यू. वी विश्नोई जी ने अपने लेक्चर दिया. पहले चरण में डॉ यू. वी विश्नोई जी ने अपने लेक्चर में Society 5.0 पर अपना भाषण दिया। उन्होंने छात्रों को अपने समाज में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन का महत्व बताया तथा भविष्य में समाज में इन टेक्नोलॉजी द्वारा बदलाव भी बताया। रोबोटिक्स और ऑटोमेशन के जानकारी देते हुए कहा की आने वाला समय इनका ही है. जैसे लोगो के पास अब समय की कमी है और जल्दी काम पूरा करने में रोबोट्स की भी मदद ली जा रही है. अगले चरण में प्रोफेसर अजय तनेजा जी ने अपने लेक्चर में एयर प्रदूषण और उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया. प्रोफेसर तनेजा ने बताया कि लोग कोविड से तो डर रहे थे परंतु एयर क्वालिटी भी बड़ा मुद्दा था और आज भी है. आजकल किचन स्मोक, चूल्हा से होने वाले प्रदूषण, लकड़ी के जलने पर होने वाला प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है. आगे उन्होंने ये भी बताया कि चूल्हा एक टॉक्सिक बेस फैक्ट्री है. चूल्हा जलाने से परहेज करना चाहिए. उन्होंने बताया कंडे जलाने पर लकड़ी जलाने से आपकी सेहत तथा पड़ोसी व अन्य सभी की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. 1 किलो लकड़ी में 15 % मास्चर होता है. आगरा जैसे शहर में प्रदूषण बड़ी समस्या बनती जा रही है. पूजा की सामग्री जलाने से भी कुछ मात्रा में प्रदूषण होता है. अभी तक के परिणामों से यह सिद्ध होता है कि हवन में भी कार्बन उत्सर्जन होता है, जिसका सेहत पर दुष्प्रभाव भी पड़ता है. प्रोफेसर तनेजा ने बताया कि रसायनों से बचने के उपाय ढूंढने चाहिए. आज के समय में ताजमहल को भी मुल्तानी मिट्टी से साफ किया जाता है. सन 2024 तक पीएम 2.5 AQI से प्रभावित 122 शहरों को प्रदूषण से बचाने की भारत सरकार की एक योजना है, जिसमे आगरा भी शामिल है. अब ग्रामीण परिवेश में भी प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जा रही है. आज के समय में विज्ञान के द्वारा बताया जाता है कि इस दिन बरसात होगी, तो होती है. पहले ऐसा नहीं था. अब सरकार की सोच सभी तरह के प्रदूषण को कम करने की है. सरकार की योजना के अनुसार शव जलाने को भी विद्युत शवदाह गृह का अधिक उपयोग करना चाहिए. छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में प्रोफ़ेसर तनेजा ने बताया कि यूकेलिप्टस पौधे अब नहीं लगाए जाते. शोध से यह सिद्ध होता है कि यूकेलिप्टस के पेड़ से निकलने वाले तेल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है. अब इस तरीके के पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं. आज कार्यक्रम का संचालन डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने किया. और सहायक के रूप में श्रीमती पूजा सक्सेना रहीं. कल से इस इस महोत्सव में (दिनांक 26 फरबरी) को सुबह 6:30 बजे से साईकल रैली होगी जो जे पी सभागार से प्रारंभ होकर खंदारी चौराहा केंद्रीय हिंदी संस्थान होते हुए दयालबाग तक जाएगी तथा वापस कैंपस आएगी. जिसमें प्रतिभागियों को टी शर्ट व कैप दी जाएगी. साथ ही डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शनी, आर्ट गैलरी का दौरा, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, डिबेट प्रतियोगिता, पोस्टर प्रेजेंटेशन, मॉडल प्रेजेंटेशन, साईकल रैली, विज्ञान प्रदर्शनी, ऑनलाइन लेक्चर्स के अलावा कई बुद्धिजीवियों के offline लेक्चर्स का भी आयोजन भी होगा. जिसमें कई स्कूल कॉलेज का छात्र/छात्राओ ने भाग लिया है। इन सब प्रतियोगिताओ के विजेता छात्रों का विज्ञान मेले के आखिरी दिन नाम घोषित किया जाएगा उन फिर उन्ही विजेता छात्रों को सामुदायिक रेडियो पर साक्षात्कार का मौका भी मिलेगा।
• तकनीकी सहायक / live presentation: इंजीनियर तरुण श्रीवास्तव, श्री हिमांशु, श्री दीपक गुप्ता
• फोटोग्राफी : श्री दीपक kulshestra
• विज्ञान प्रसार और DRDO कोआर्डिनेशन: डॉ अंकुर गुप्ता
NCC और NSS के छात्र/ छात्राओ के भी कुछ वालंटियर्स का सहयोग उनके cordinator लेफ्टी. डॉ. रीता निगम और डॉ. रामवीर सिंह चौहान द्वारा प्राप्त हो रहा है . इस कार्यक्रम का आयोजन पूरे 7 दिन प्रोफेसर संजीव कुमार जी (डीन, अकैडमिक) के निर्देशन में चल रहा है .