आगरा, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय सभागार में उूर्द विभाग द्वारा नज़ीर अकबरावादी की शायराना अज़मत और असरे हाज़िर में उनकी मानवियत पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया।यह सेमिनार राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद भारत सरकार, नई दिल्ली (National councel for Promotion of Urdu Language) के वित्तीय सहयोग से किया गया।
सेमिनार में सर्वप्रथम उर्दू विभाग की अध्यक्षा डॉ. नसरीन बेगम ने नज़ीर अकबरावादी और आगरा के बारे में विस्तार से बताया कि नज़ीर आगरा के पुराने मोहल्ले मल्को गली में रहते थे, जहाँ पर बड़ा मैदान था और वहाँ नीम और बेर का पेड़ था। आगरा नज़ीर को इतना पसन्द था कि उन्हें लखनऊ और भरतपुर के नवाबों ने अपने दरबार में बुलाया मगर उन्होंने साफ इन्कार कर दिया और आगरा न छोड़ा। उन्होंने हमेशा मोहब्बत का पैगाम दिया और होली, दिवाली, ईद, बंजारानामा, रोटी नामा, कोरा बर्तन, तिल के लड्डू, जन्म कृष्ण कन्हैया, शेख सलीम चिश्ती पर नज्मे लिखी।
सेमिनार की अध्यक्षता प्रोफेसर मोहम्मद अली जौहर चेयरमैन उर्दू विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज नज़ीर अकबरावादी को याद करना वक्त की जरूरत हैं क्योंकि वह सबको साथ लेकर चलें बल्कि दबे कुचले गरीबों का सहारा बने उनके अन्दर अपनी नज़मों से हौसला और विश्वास पैदा किया। विशेष रूप से उन्हें आगरा में वह भी इस तारीखी कॉलेज में याद करना, बहुत ही अहम कार्य है। क्योंकि वह आगरा की तारीफ करते रहे।
क्यों कर न अपने शहर की खूबी करूँ बयाँ,
देखी हैं आगरे में बहुत हमने खूबियाँ।
रखियो इलाही इसको तू आबाद व जावेदा
प्रोफेसर राशिद अनवर राशिद उर्दू विभाग ए.एम.यू. ने कहा कि-नज़ीर की शायरी एहसासात व जज़्बात की तरजुमान है। वह अवामी शायर होने के साथ तरक्की पसन्द शायर हैं।
विशिष्ठ अतिथि डॉ. विक्रम सिंह पूर्व डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नज़ीर ने 2 लाख नज़्में लिखीं। नज़ीर पर हमारे भारत को फख्र है। अपने पिता से बहुत सारी बातें सुनता रहा आज पता चला कि वह नज़ीर जी की थीं-सब ठाठ पड़ा रह जायेगा जब लाद चलेगा बन्जारा जैरी नज़्म पर आज हमें ध्यान की जरूरत है। प्रोफेसर मोहम्मद अरशद डीन स्टूडेन्स वेलफेयर, अध्यक्ष समाजशास्त्र व Associate Dean Research डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने कहा कि आज गरीबी इसलिये है कि आज कुछ लोग इतने अमीर हो गये हें कि सब गरीब हो गये। आज की गरीबी पर बात करते हुये कहा कि नज़ीर ने रोटी की अहमियत पर बात की और नज़्म रोटीनामा लिखा।
प्रोफेसर नफीस बानों उर्दू विभाग बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने ”नज़ीर की शेरी कायनात में गजल की जलवा गरी“ के उन्वान से अपना पेपर प्रस्तुत करते हुये कहा कि नज़ीर गज़ल शाहराहों से मस्त व बेखुद गुजरे हैं। अपनी गज़लें में ज़िन्दगी के दुखों को रोना नहीं रोते बल्कि जिन्दगी को खुश होकर गुज़ार देने की बात करते हैं
देख ले इस दहर को जी भर के नज़ीर,
फिर तेरा काहे का इस बाग में आना होगा।
प्रोफेसर रफ़्त जमाल उर्दू विभाग, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने शोध पत्र मज़हबी रवादारी और नज़ीर की नज़्म निगारी पर प्रकाश डालते हुये कहा कि वह सभी धर्मों को एक ही समझते थे। उन्होंने अवाम के दिल की बात कही जो लोगों तक पहुँचती है।
सय्यद अज़मल अलीशाह ने कहा कि नज़ीर को याद करना आज बहुत जरूरी है। उन्होंने मोहब्बत का पैगाम दिया और हमेशा वह आगरा वालों के बीच ही रहे।
सेमिनार के दूसरे सेशन की अध्यक्षता प्रोफेसर नफीस बानो ओर प्रोफसेर रफ़त जमाल, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने किया। इसमें डॉ. फरहा तब्बसुम डॉ, जे़बा फारूकी, अरशद, प्रोफेसर ज्योत्सना रघुवंशी, डॉ. विजय शर्मा, सय्यद फै़ज अली शाह दानिशा, सादिया सलीम, आयशा शम्सी, आफरीन, परवीन ने शोधपत्र पढ़ा।
महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष श्री अवधेश कुमार गुप्ता ने कहा कि मैं उर्दू विभाग को बधाई देता हूँ कि विशेष रूप से डॉ. नसरीन बेगम को जिन्होंने नज़ीर अकबराबादी पर इतना अच्छा सेमिनार कया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि मैंने नज़ीर को पढ़ा तो यह पाया कि उन्होंने इतनी छोटी-छोटी चीजों पर नज़्म लिखा उनकी नज़्म रीछ का बच्चा मुझे बहुत पसन्द है। नज़ीर वास्तव में बेनजीर थे।
महाविद्यालय की बी.एड. की छात्राओं नेहा, रिचा शर्मा, अनुशका नैथानी, रश्मि और वैशाली दुबे ने नज़ीर की नज़्म होली प्रस्तुत की।
इस अवसर पर रंग-ए-सुलह कुल आगरा की ओर से पोस्टर प्रदर्शिनी लगाई गयी इसमें ताहिर अहमद, अन्तरा मुखर्जी, मुदित शर्मा, वासिफ शेख और सय्यद फैज अली शाह का सहयोग रहा और प्रोफेसर जितेन्द्र रघुवंशी जी को याद करते हुये उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। वह नज़ीर प्रेमी थे। इस अवसर पर उनकी पत्नी डॉ. भावना रघुवंशी भी मौजूद रही। इनके अतिरिक्त फादर मून लाजरस, डॉ0 शशिकान्त शर्मा, डॉ. भूपेन्द्र चिकारा महामंत्री ऑटा, डॉ. शिव कुमार, डॉ. रचना सिंह, सलीम आगाई, असलम सलीमी ,विशाल रियाज़ भी मौजूद रहे।
नज़ीर की नज़्म ”बंजारानामा“ कुशल चोपड़ा और आकाश मिश्रा ने अपनी खूबसूरत आवाज में पेश किया।
डॉ. नसरीन बेगम ने नज़ीर अकबरावादी और बज्मे नज़ीर के 92 साला सफर का जिक्र करते हुये नज़ीर पर बात की। इस अवसर पर डॉ. नसरीन बेगम की पुस्तक ”जोश मलिहावादी की नर्स का तनकीदी ज़ायजा“ का विमोचन किया गया।
धन्यवाद आन्तरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ की समन्वयक डॉ. अमिता निगम ने नज़ीर जैसे बेनज़ीर शायर आगरा के प्रत्येक व्यक्ति के लिये गर्व का विषय है। आप जैसे महान विभूतियों के विषय में सेमिनार का आयोजन अपनी साहित्यिक विरासत को सहेजने और जनमानस का ध्यान इस अमूल्य धरोहर के प्रति आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी नज़्में सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है और आम आदमी की जिन्दगी से भी जुड़ी हैं। इस सेमिनार में पधारे सभी विद्वान ज्ञान के सागर की गहराई में उतरे हुए हैं जिन्होंने नज़ीर के सम्बंध में बेमिसाल मोती प्रस्तुत किये हैं।
इस अवसर पर डॉ0. लता चन्दोला, डॉ. अनुराधा गर्ग, डॉ0. शशि वार्ष्णेय, डॉ. गुन्जन चतुर्वेदी, डॉ. पूनम शर्मा, डॉ. बिन्दु अवस्थी, डॉ. साधना सिंह, डॉ. रेखा सिंह, एवं समस्त शिक्षिकाएं मौजूद रहीं एवं पूर्व प्राचार्या डॉ. अलका अग्रवाल, डॉ. नमिता राय भी मौजूद रहीं।
संवाद , अज़हर उमरी