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दरगाह सरवाड़ शरीफ में अंजुमन सैयदजादगान ने शानो शौकत के साथ भेजी चादर

अजमेर ,ख्वाजा साहब की दरगाह से ख्वाजा फखर की दरगाह सरवाड़ शरीफ में अंजुमन सैयदजादगान द्वारा शानो शौकत के साथ भेजी गईं चादर। जुलुस में मलंगों ने दिखाए हैरतअंगज करतब ओर कव्वालो ने पेश किए सूफियाना कलाम।
अजमेर महान सूफ़ी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बड़े बेटे हज़रत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी अंजुमन सैयदजादगान द्वारा शानो शौकत के साथ चादर भेजी गईं। दरगाह ख्वाजा साहब में दोपहर की खिदमत के बाद यानी 3:30 बजे सूफियाना कलाम के साथ चादर का जुलुस शुरू हुआ जो दरगाह के विभिन्न हिस्सों से होता हुआ दरगाह के निज़ाम गेट पहुचा यहां से नला बाज़ार, घसेटी बाज़ार, मदार गेट होता हुआ रेल्वे स्टेशन पहुंचा जहां बस द्वार चादर को सरवाड़ शरीफ दरगाह भेजी गईं। अंजुमन द्वार इस चादर को चांद की पांच तारीख यानी 9 फरवरी को शाम को असर की नमाज़ के बाद ख्वाजा फखर की मजार पर पेश की जाएगी। हर साल 3 शाबान को इस चादर का जुलुस इसी तरह निकाला जाता हे जिसमे मलंग हैरतअंगज करतब दिखाते हुए आगे चल रहें थे और चादर के साथ शाही कव्वाल सुफियाना कलामों के साथ रेलवे स्टेशन तक पहुंचे जहां बस द्वार चादर को दरगाह सरवाड़ शरीफ भेजी गईं। जुलुस में कई जायरीन व आशिकाने ख्वाजा शामिल रहे। ख्वाजा साहब की दरगाह से लेकर अजमेर रेल्वे स्टेशन तक पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा।
दरगाह के ख़ादिम सैयद कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि अज़मेर की दरगाह से 65 किलोमीटर दूर सरवाड़ दरगाह तक बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएं सड़क मार्ग से पैदल सफर कर उर्स में शिरकत के लिए पहुंच रहे हैं. हजारों की सँख्या में पैदल यात्रियों के लिए जगह जगह लंगर और मेडिकल के अलावा सुलभ शौचालय का भी इंतजाम किया गया है. मुम्बई के पीर हाजी अब्दुल मन्नान शैख के जरिए जायरीन के लिए हर साल हाईवे पर कैम्प भी लगवाया जाता है. जिसमें खाने पीने और मेडिकल की सुविधा मुहैया करवाई जाती है.।
सालाना उर्स के मौके पर सरवाड़ स्थित उनके बड़े साहबजादे ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जायरीन की खासी रौनक है।
सूफी बुजुर्गों की बारगाह से राजा महाराजाओं और खासओं आम अकीदतमंदों ने अपना रूहानी रिश्ता हमेशा कायम रखा है. सूफी संतों की धरती भारत में आज भी पीर फकीर,सूफी कलंदरों से लोग फैज हासिल करते है. यही वजह है कि अकीदतमंद इन बुजुर्गों की बारगाह में पैदल सफर कर पहुंच रहे हैं.।


संवाद , मोहम्मद नज़ीर क़ादरी