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आयुष मंत्री ने श्रीनगर में यूनानी दिवस समारोह और यूनानी चिकित्सा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

श्रीनगर/नई दिल्ली, : श्री सर्बानंद सोनोवाल, माननीय केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, आयुष मंत्रालय तथा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार ने आज शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, श्रीनगर में यूनानी दिवस 2022 और यूनानी चिकित्सा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई कालूभाई, माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री, आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार “अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए यूनानी चिकित्सा में आहार और पोषण” विषय पर आयोजित सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि थे।
श्री प्रमोद कुमार पाठक, विशेष सचिव, आयुष मंत्रालय, श्री विवेक भारद्वाज, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, जम्मू-कश्मीर, वैद्य जयंत देवपुजारी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग, प्रो. तलत अहमद, कुलपति, कश्मीर विश्वविद्यालय, प्रो. अकबर मसूद, कुलपति, बाबा गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय, प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.) और डॉ. एम.ए. क़ासमी, सलाहकार (यूनानी), मंत्रालय आयुष ने भी के.यू.चि.अ.प., आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यूनानी दिवस 2022 समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित सम्मेलन में भाग लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत सरकार ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में यूनानी चिकित्सा सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के बहुमुखी विकास को बहुत महत्व दिया है। उन्होंने आगे बताया कि श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित करने का निर्णय लिया है जो शोधकर्ताओं और छात्रों को पारंपरिक चिकित्सा में दुनिया का नेतृत्व करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।  उन्होंने आगे कहा कि यूनानी दिवस हकीम अजमल खान की जयंती पर मनाया जाता है जो बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके और कई अन्य विद्वानों के योगदान के कारण है कि हमें यह व्यापक चिकित्सा प्रणाली विरासत में मिली है। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी को इस खूबसूरत प्रदेश पर गर्व है जो दुनिया भर में पर्यटकों के आकर्षण के रूप में खुद को स्थापित करने में सफल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर पौधों के संसाधनों में समृद्ध है जिस ने औषधीय उपयोग के लिए शोध करने और उनका पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि मानव जाति लाभान्वित हो सके। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में जो रहे विकास कार्यों का युवाओं को लाभ उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्षे.यू.चि.अ.सं., श्रीनगर में एक आयुष सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रेजिमेनल थेरेपी विकसित करने के लिए 7 करोड़ से अधिक रुपये उपलब्ध कराए गए।
माननीय मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने अपने संबोधन में कहा कि आहार बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऊर्जा का मूल स्रोत है। उन्होंने आगे कहा कि यूनानी चिकित्सा स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने के लिए स्वस्थ भोजन की आदतों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश प्रदान करती है। उन्होंने दवाओं और औषधीय खाद्य पदार्थों के माध्यम से प्रतिरक्षा बढ़ाने और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आयुष प्रणाली की भूमिका की सराहना की। उन्होंने यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान और विकास में के.यू.चि.अ.प. के योगदान की भी सराहना की।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रमोद कुमार पाठक ने कहा कि उचित और पौष्टिक आहार अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण की कुंजी है और यूनानी चिकित्सा में असंतुलन को समायोजित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है जो बीमारी में योगदान देता है। उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय ने यूनानी चिकित्सा और अन्य आयुष प्रणालियों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान और प्रचार के लिए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि के एक भाग के रूप में गाजियाबाद में 200 बिस्तरों वाले अस्पताल के साथ एनआईयूएम की स्थापना की है।
श्री विवेक भारद्वाज ने कहा कि यूनानी चिकित्सा जम्मू-कश्मीर में बहुत लोकप्रिय है और इसके आगे के प्रचार और विकास के लिए केंद्र सरकार क्षे.यू.चि.अ.सं., श्रीनगर में यूनानी चिकित्सा में एमडी और जम्मू-कश्मीर के पहले सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेज में बीयूएमएस की शुरूआत सहित ठोस प्रयास कर रही है।
वैद्य जयंत देवपुजारी ने कहा कि यूनानी चिकित्सा में शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए अरबी और उर्दू भाषाओं का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है जैसे आयुर्वेद के लिए संस्कृत का ज्ञान महत्वपूर्ण है इसलिए भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए न्यूनतम मानकों में उपयुक्त बदलाव किए गए हैं और कॉलेजों को अरबी और उर्दू भाषाओं के लिए पूर्णकालिक शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिए।
प्रो. तलत अहमद ने यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान और विकास में के.यू.चि.अ.प. की भूमिका की सराहना की और यूनानी चिकित्सा में अंतःविषय अनुसंधान के लिए अन्य संस्थानों के साथ सहयोग का विस्तार करने का आग्रह किया।
प्रो अकबर मसूद, कुलपति, बाबा गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय ने यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान, स्वास्थ्य देखभाल वितरण और उच्च शिक्षा में के.यू.चि.अ.प. और क्षे.यू.चि.अ.सं., श्रीनगर के योगदान की सराहना की।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में प्रो. आसिम अली ख़ान ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों को अभूतपूर्व समर्थन और संरक्षण मिला है। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले सितंबर में माननीय आयुष मंत्री ने आयुष मंत्रालय से पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ जम्मू-कश्मीर में यूनानी चिकित्सा के पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज में बीयूएमएस पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने आगे कहा कि आयुष मंत्रालय ने हाल ही में क्षे.यू.चि.अ.सं., श्रीनगर में एक आयुष सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रेजिमेनल थेरेपी विकसित करने के लिए फंड उपलब्ध कराया है। के.यू.चि.अ.प. की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में परिषद ने बहुआयामी विकास और प्रगति की है।
उद्घाटन सत्र का समापन डॉ. एम. ए. कासमी द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
उद्घाटन सत्र में सम्मेलन स्मारिका और के.यू.चि.अ.प. द्वारा प्रकाशित आठ पुस्तकों का विमोचन, दो यूनानी ई-पुस्तकों का विमोचन, योग प्रशिक्षकों को सम्मानित करने के लिए वाईसीबी प्रमाणपत्रों का वितरण, योग समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान और लाइव योग प्रदर्शन, के.यू.चि.अ.प. ऐप्स का विमोचन और एनएबीएच दुवारा क्षे.यू.चि.अ.सं.,श्रीनगर को प्रत्यायन प्रमाणपत्र भेंट करने जैसी प्रस्तुति देखी गई।
के.यू.चि.अ.प. पुस्तकों में ‘ओरिएंटेशन गाइडलाइन्स फॉर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (अंडर यूनानी स्ट्रीम)’, ‘एंटीअर्थरिटिक प्लांट्स इन यूनानी मेडिसिन’, ‘हेपटोप्रोटेक्टिव प्लांट्स इन यूनानी मेडिसिन’, ‘ग्लिम्प्सेस ऑफ़ एक्टिविटीज एंड अचीवमेंट्स ऑफ़ सेंट्रल कौंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन’, ‘एडवांस्ड एनालिटिकल मेथड्स फॉर क्वालिटी कण्ट्रोल ऑफ़ यूनानी ड्रग्स – अरकियात (डिस्टिलटेस)’, ‘रियाज़ अल-अद्विया (उर्दू ट्रांसलेशन)’, ‘अद्विया काबिदिया: क़दीम-व-जदीद तहक़ीक़ात की रौशनी में’और  ‘नेशनल फ़ॉर्मूलारी ऑफ़ यूनानी मेडिसिन, वॉल. IV’, का विमोचन किया गया।
माननीय मंत्री श्री श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा ‘सिंगल यूनानी ड्रग्स’, ‘यूनानी ट्रीटमेंट गाइडलाइंस फॉर कॉमन डिजीज’ और ‘नो योर टेम्परामेंट’ पर ऐप लॉन्च करने की यूनानी और अन्य हितधारकों ने बहुत सराहना की क्योंकि के.यू.चि.अ.प., आयुष मंत्रालय की ओर से यह यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी तरह की पहली पहल थी।
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