लहू मुल्क की मिट्टी का दोनों की रंगों में रहता है हिंदू मुस्लिम दोनों के दिलों में तिरंगा रहता है
नई दिल्ली , ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के दिल्ली के स्टेट द्वारा दिल्ली सूफी मीट का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर की 200 दरगाहों के सज्जादानीशनों ने शिरकत की,
अपने सम्बोधन में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (जो अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तर अधिकारी भी हैं) सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि
हिंदुस्तान वलियों का मुल्क है सूफी संतों का मुल्क है और यही हमारे मुल्क की तहजीब है और यही हमारे मुल्क की ताकत है मौजूदा हिंदुस्तानी सियासी हालात में मजहबी रिवायतों में और खासकर हिंदू मुसलमानों की अमन व आपसी समझ मोहब्बत भाईचारे के नजरियों पर दोबारा सोचने की जरूरत है ताकि इस मुल्क की जम्हूरियत ठीक से काम कर पाए और देश में अमन और सुकून बना रहे,
हमें हमेशा मजहबी भी इख़्तिलाफ़ को छोड़कर इंसानियत और मुल्क की बेहतरी को सबसे आगे रखना चाहिए और इस्लाम का अमन का पैगाम पूरी दुनिया में फैलाना चाहिए जैसा कि ख्वाजा साहब ने फैलाया था, याद रहे सूफीवाद कट्टरवाद और आतंकवाद के लिए मारक के रूप में काम करेगा इसलिए हमें सूफीवाद को फिर से स्थापित करने और इसे जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है,
नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि हमें कौमी एकता की एक मिसाल कायम करें क्योंकि अनेकता में एकता ही इस मुल्क की शान है हमारा वकार गौरव हमारा मुल्क सर जमीने हिंदुस्तान है आज हिंदुस्तान में मज़हबी दावेदारी को दबाते हुए इंतिहापसन्द लोगों ने उसे हाईजैक कर दिया है और मजहब के नाम पर इस तरह की दरार पैदा की जा रही है कि हमें अंधेरे में ले जाया जा रहा है इस तरह के इंतिहापसंद ताकतों से लड़ने के लिए सूफी लोगों को और सूफिज्म को आगे आना होगा क्योंकि सूफिज़्म एक नजरिया नहीं बल्कि अमन और मोहब्बत के साथ जिंदगी जीने का रास्ता है यह सोच है जिसमें मुख्तलिफ नजरियों के बीच की खाई को खत्म करने की कोशिश की है और इसी वजह से सूफियों को हिंदू-मुस्लिम एकता की एक मजबूत बुनियाद के रूप में देखा जाता है जिसकी इस मुल्क को बहुत जरूरत है,
इस्लाम मजहब के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता
उन्होंने कहा कि मुल्क वासियों को इस नाजुक दौर में किसी भी हिंसक गतिविधियों से परहेज करना चाहिए और दूसरे गुमराह को भी नेक राह दिखाकर मुल्क की तरक्की में खिदमत करने को माइल करना चाहिए सभी धर्मों को समझना चाहिए कि मजहब एक नूर है दहशत गर्दी एक अंधेरा है जिसमें बेवजह लोगों को फंसा दिया जाता है इसीलिए हम सभी मजहबी लोगों को अफवाहों की सख्त मजम्मत करते हुए वतन परस्ती की मिसाल कायम करनी चाहिए क्योंकि आजकल कुछ ऐसे कट्टरवादी संगठन इस सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके इसी तरह की नफरत को फैलाने में लगे हुए हैं अपने निजी स्वार्थ के लिए अपने पोलिटिकल एजेंट को साधना के लिए देश के नौजवानों को गुमराह करने का काम बड़े जोर शोर से कर रहे हैं, यह लोग अपने यूट्यूब चैनल ओ फेसबुक व्हाट्सएप और कई तरह के भ्रामक वीडियो बनाकर देश के नौजवानों के की रगों में कटटरवादिता का जहर घोल रहे हैं अपनी तस्वीरों में नौजवानों को शामिल करके उन्हें खास क़िस्म की फोर्स जैसी ड्रेस पहना कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं इससे हमारे क़ौम के भोले भाले नौजवान उनके जाल में फंसते चले जा रहे हैं ऐसे माहौल में हम दरगाह और खानकाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम लोग इस मुल्क के मुसलमानों को आगाह करें सचेत करें उन्हें समझाएं कि अपने बच्चों को इस तरह के कट्टरपंथी तंज़ीमों से ना जुड़ने दें और अपने बच्चों की अच्छी तालीम पर ध्यान दें उन्हें रोजगार करने के काबिल बनाएं ना कि हथियार की दुनिया में, याद रहे तरक्की और कामयाबी हथियार और आतंकवाद से नहीं बल्कि अच्छी तालीम और मेहनत से हासिल होती है ,
नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो उस समय देश में 500 से ज्यादा रियासतें थी आज हम माइनोटी की बात करते हैं देश में पारसी 0 . 1 प्रतिशत जैन 1% सिख 1. 80 प्रतिशत की माइनोटी, अगर इन सब को परस्पर एजुकेशन और आगे बढ़ने के अवसर मिल मिल रहे हैं, तो माइनॉरिटी में सबसे ज्यादा मेजोरिटी में है उनके साथ कैसे समस्या यह विचार करने का विषय है, जब देश आजाद हुआ तो कोई बौद्ध रियासत नहीं थी कोई ईसाई रियासत नहीं थी कोई पारसी रियासत नहीं थी एक महाराजा पटियाला को छोड़ दें तो कोई सिख रियासत भी नहीं थी मगर लाइन लगाकर मुस्लिम रियासतें थी नबाब भोपाल ,नवाब पटौदी ,नवाब रामपुर,निज़ाम हैदराबाद, नवाब लखनऊ, जूनागढ़ के नवाब ऐसी हालत क्यों हो गए क्या आज बाकी सब तो पढ़ाई लिखाई में आगे बाकी सब चीजों में आ गए और एक ही वर्ग है जो पीछे होता चला गया मुझे लगता है कि इसमें दोष इनका भी है जो रियासत की गई अदावत मोहब्बत को किसी ने यह दिखाने की कोशिश की कि किसी को तुमने तुमसे बड़ी मोहब्बत है और किसने यह दिखाने की कोशिश की कि फला को तुमसे बड़ी अदावत है , इस सियासत ने देश के मुसलमानों को आज कहां पहुंचाया यह सब जानते हैं किसी को किसी की मोहब्बत ने मारा किसी को किसी की अदावत ने मारा पर हम सबको इस सेक्युलर रियासत ने मारा ,
मैं जानता हूं कि पिछले कुछ महीने से या फिर कुछ सालों से काफी मसाइल हुए हैं जिनकी वजह से हम सबके ख्याल थोड़े बदल चुके हैं मगर किसी ने खूब कहा है, सुंदरता देखने वालों की आंखों में होती है,
संवाद , अज़हर उमरी