टीकाकरण कराने से रोका जा सकता है खसरा- रूबेला का खतरा
तेजी से फैलता है खसरा
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराता है मीजल्स-रूबेला का टीका
आगरा, खसरा-रूबेला गंभीर और विषाणु जनित संक्रामक बीमारी है। ये इतना खतरनाक है कि इसके कारण मौत भी हो जाती हैं, लेकिन टीकाकरण कराने से इसका खतरा बेहद कम हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा खसरा- रूबेला का टीकाकरण लगातार किया जाता है। हर साल खसरे के टीके के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए 16 मार्च को खसरा प्रतिरक्षण दिवस भी मनाया जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि खसरा व रूबेला विषाणु जनित संक्रामक बीमारी है। बड़ी संख्या में बच्चों की मौत इस बीमारी से हो जाती है। बच्चे को नौ माह के होने पर पहला और 12 से 24 माह की आयु में दूसरा टीका लगता है। विभाग द्वारा इसे निःशुल्क लगाया जाता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि खसरा के लक्षण बुखार,चकत्ते पड़ना, नाक बहना, आंखों में जलन, खांसी आदि होते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण हैं। वर्तमान में समय में अगर बुखार के साथ चकत्ते मिलते हैं तो उसे खसरा संदिग्ध माना जाता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला के रूबेला से ग्रसित होने के कारण गर्भपात, प्रसव मृत्यु, बच्चे में जन्मजात बहरापन, अंधापन के साथ ही गंभीर शारीरिक अक्षमता हो सकती है।
डॉ. वर्मन ने बताया कि कम पोषण, विटामिन ए की कमी और एचआईवी या एड्स की स्थिति में खसरे की जटिलताएं बढ़ जाती हैं । खसरे के कारण होने वाले अंधापन, इंसेफेलाइटिस, गंभीर अतिसार और निमोनिया के कारणों से भी जटिलाएं बढ़ती हैं । इन स्थितियों से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि नौ से 12 महीने की उम्र में एमआर टीके की पहली डोज, जबकि 16 से 24 माह की उम्र में दूसरी डोज अवश्य दी जाए। सभी अभिभावकों को समझना होगा कि खसरा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसका टीका नहीं छूटना चाहिए ।
लक्षण दिखने पर डॉक्टर से करें संपर्क
डीआईओ डॉ. वर्मन ने बताया कि न केवल बच्चों बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को बुखार एवं घमौरीनुमा बिना पानी वाली दाने व इसके साथ खांसी या नाक बहना या आंखों के लाल होने जैसे लक्षण दिखें तो बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसे लोग खसरे के संभावित मरीज हो सकते हैं । खसरे से प्रभावित बच्चों में घमौरीनुमा दाने होने से दो से तीन सप्ताह के भीतर जटिलता होने की आशंका होती है । खसरे के संभावित मरीज को दाने आने के बाद चार दिनों के लिए आइसोलेशन में रखना चाहिए, लेकिन ऐसे मरीज से भेदभाव नहीं करना है । मास्क, हाथों की स्वच्छता जैसे नियम इस संक्रमण से बचाव में भी कारगर हैं ।
राष्ट्रीय पारिवारक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (वर्ष 2019-21) के मुताबिक जनपद आगरा में 12 से 23 माह आयु वर्ग के 96.4 फीसदी बच्चे खसरे के टीके की पहली डोज लगवा चुके हैं। प्रदेश स्तर पर यह आंकड़ा 83.3 फीसदी है। सर्वेक्षण के मुताबिक 24-35 माह आयु वर्ग के 48.4 फीसदी बच्चों ने टीके की दूसरी डोज भी ले ली है । प्रादेशिक स्तर पर यह 30.2 फीसदी है । डीआईओ डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि खसरे से संपूर्ण प्रतिरक्षण टीके के दोनों डोज के बाद ही प्राप्त होता है ।
महत्वपूर्ण बिंदु
• अगर 16 माह से पांच वर्ष का बच्चे ने एमआर टीके का कोई डोज नहीं लिया है तो उसे नियमित टीकाकरण सत्र पर पहली खुराक तुरंत देनी है और एक महीने बाद दूसरी खुराक भी देनी है ।
• अन्य टीकों के साथ एमआर का टीका दिया जा सकता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है ।
• खसरा ग्रसित बच्चों को उम्र के अनुसार ड्यू डेट पर खसरे का टीका लगाना है।
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