नई दिल्ली, : केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.) ने अपने क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (क्षे.यू.चि.अ.सं.), मुंबई के माध्यम से “आयुर्वेद, सिद्ध,यूनानी, और होम्योपैथी औषधीयों के फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम” पर एक वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार का उद्देश्य आयुष चिकित्सकों और अन्य हितधारकों के बीच फार्माकोविजिलेंस के बारे में जागरूकता पैदा करना और प्रतिकूल औषधीय प्रतिक्रियाओं को रिपोर्ट करने की आदत पैदा करना है।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. एन. ज़हीर अहमद, उप निदेशक, क्षे.यू.चि.अ.सं., चेन्नई ने फार्माकोविजिलेंस के बारे में बुनियादी जानकारी साझा की। उन्होंने के.यू.चि.अ.प. के फार्माकोविजिलेंस केंद्रों के दायरे और बुनियादी कार्यक्षमता के बारे में भी बताया।
डॉ. हुमैरा बानो, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी), क्षे.यू.चि.अ.सं., मुंबई और डॉ. मोहम्मद अलीमुद्दीन क़मरी, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान, बैंगलोर ने क्रमशः “आयुष औषधीयों का फार्माकोविजिलेंस – एक मूल्यांकन” और “फार्माकोविजिलेंस के परिप्रेक्ष्य में यूनानी चिकित्सा में दवाओं के रूपों का महत्व” पर अपने व्याख्यान दिए।
इससे पहले डॉ. निर्मला देवी, अनुसंधान अधिकारी प्रभारी, क्षे.यू.चि.अ.सं., मुंबई ने वेबिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। डॉ. निकहत शेख, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी), क्षे.यू.चि.अ.सं., मुंबई ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।