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इबादत और तिलावत में गुजरी शब-ए-बरात की रात

शाबान माह की 15 तारीख को मुकद्दस शब-ए-बरात पर लोगों ने दरगाह, मस्जिदों और घरों पर इबादत और तिलावत की
बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में पहुंचे

कासगंज। जिले भर में शब ए बारात पर लोगों ने दरगाह, मस्जिदों और घरों पर इबादत और तिलावत की। जिसमें कासगंज शहर, बिलराम ,सोरों, सहावर, अमापुर, गंजडुंडवारा, पटियाली, सिढपुरा व भरगैन में शब-ए-बारात को लेकर सुबह से ही मुस्लिम घरों में तैयारियां शुरू हो गई थीं। जिलेभर की मस्जिदों में लोगों ने इबादत की और सारी मस्जिदें दरगाह मजार बिजली की झालरों से जगमगा रहे थे।
कस्बा भरगैन में खासकर हलवा सहित तमाम तरह के पकवान घरों में बनाए गए और दिन भर न्याज नजर का दौर चलता रहा। इस दिन हजरत उबैश करनी रदिअल्लाहु अन्ह के नाम की फातिहा ख्वानी हुई। शाम को मगरिब की नमाज के बाद यानी शाबान की 15वीं रात को लोगों का दरगाह और कब्रिस्तान पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ, जो पूरी रात जारी रहा। जहां लोगों ने हार फूल पेश किए और न्याज नजर के साथ अल्लाह से दुआएं मांगीं। इस मुकद्दस रात में घरों और मस्जिदों में लोगों ने रात भर जागकर इबादत की। रात भर घरों और मस्जिदों में जलसों व कुरआन की तिलावत की गूंज रही।
भरगैन में एएमयू के पूर्व छात्र रिहान खान ने बताया बीती साल किए गए गुनाहों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बारात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। इस्लामी मान्यता के मुताबिक शब-ए-बरात की सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता है। साथ ही इस रात मुस्लिम धर्मावलंबी अपने उन परिजनों, जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, उनकी मगफिरत की दुआएं करने के लिए कब्रों पर भी जाते हैं।

मस्जिदों में आयोजित हुए जलसे
शब-ए-बरात पर कस्बा भरगैन की बरकातिया मस्जिद, मदीना मस्जिद, नूरी मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों में जलसे आयोजित हुए। आयोजित जलसों में उलेमाओं ने शब-ए-बरात के महत्व और इस रात की जाने वाली इबादत, उसके फायदे, अल्लाह और रसूल के फ़रमान के विषय पर तकरीर के माध्यम से प्रकाश डाला।

लोगों ने की कुरआन की तिलावत
इस्लामिक शाबान महीने की 15वीं तारीख की अहम विशेषता के कारण लोगों ने पूरी रात जागकर इबादत की। ऐतिहासिक दरगाह चिश्ती बाबा के यहां, मस्जिदों और घरों पर युवाओं ने कुरान पाठ किया। महिलाओं ने घरों पर ही रहकर कुरआन पाक की तिलावत की।

जगमग हुए कब्रिस्तान, मांगी दुआ
शब-ए-बरात पर कस्बे का 989 बीघे का कब्रिस्तान और दरगाह चिश्ती पीर बाबा, मजार काले खाँ बाबा, मजार रोशन शाह बाबा, मजार पंच पीर आदि रोशनी से जगमगा उठे। दरगाह और मजारों पर दुआ के लिए लोग पहुंचे। इस मुबारक रात में लोग अपने पूर्वजों, रिश्तेदारों, शहीदों की कब्रों पर गए और उनके लिए ईसाले सवाब किया।


संवाद , नूरुल इस्लाम