शामली के सपा-रालोद विधायकों की चुप्पी शर्मनाक
मुसलमानों को वोट के बदले धोखा न दें सपा-रालोद विधायक
लखनऊ . अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने शामली के कांधला क़स्बे में होने वाले सालाना जलसे की अनुमति रद्द कर दिये जाने की निंदा करते हुए इसे मुसलमानों के संवैधानिक अधिकार पर हमला बताया है। उन्होंने इस मुद्दे पर सपा-रालोद नेताओं की चुप्पी को भी शर्मनाक बताया है।
लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 21 मार्च को कांधला के ऐतिहासिक ईदगाह मैदान में होने वाले सालाना जलसे की अनुमति प्रशासन ने आयोजकों को दे रखी थी। जिसके बाद आस-पास के ज़िलों में इसकी तैयारी होने लगी जिसमें देश भर के जाने माने इस्लामी विद्वानों को शिरकत करनी थी। लेकिन कल रात अचानक बिना कोई वजह बताए अनुमति रद्द कर दी गयी और लोगों को धमकाया भी गया कि जो लोग भी यहाँ आएंगे उनके खिलाफ कार्यवाई होगी। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बिना कोई वजह बताए जलसे की अनुमति रद्द कर देना योगी सरकार की सांप्रदायिक मानसिकता और कार्यशैली को दर्शाता है। जो मुसलमानों को अपने धार्मिक आयोजन करने के संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने की आपराधिक श्रेणि में आता है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस पूरे मसले पर सपा और रालोद नेताओं की चुप्पी भी उनके मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि शामली की सभी तीन विधान सभा सीटों पर सपा और रालोद को मुसलमानों ने वोट दे कर जितवाया है। लेकिन तीनों ही विधायक अब मुसलमानों के इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2013 में मुज़फ्फरनगर दंगों के समय तत्कालीन मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव कांधला आए थे और मौलाना इफ्तिखार उल हसन साहब से बन्द कमरे में मुलाक़ात कर मुसलमानों में अपनी छवि सुधारने की कोशिश की थी। लेकिन आज उन्हीं मरहूम मौलाना के बेटे मौलाना राशिद उल हसन साहब द्वारा आयोजित किये जाने वाले जलसे को उन्हें अपमानित करने की नीयत से प्रशासन नहीं होने दे रहा है। लेकिन मुसलमानों के वोट से जीते ज़िले के तीनों विधायक मुसलमानों के साथ धोखा कर रहे हैं।
संवाद , अज़हर उमरी