अन्य

टीबी को दी मात, अब टीबी के खात्मे को कर रहे मदद

जनपद में टीबी चैंपियन क्षय रोगियों के साथ साझा कर रहे अपने अनुभव
क्षय रोगियों की कर रहे काउंसलिंग, उनके परिवार को भी समझा रहे
विश्व क्षय रोग दिवस पर विशेष…

आगरा, टीबी का इलाज संभव है, सही समय पर इसका उपचार करवाया जाए और समय से दवाइयों का सेवन किया जाए तो क्षय रोगी आसानी से स्वस्थ हो सकते हैं। लेकिन समाज में अब भी टीबी को लेकर लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। इन भ्रांतियों को दूर करने और क्षय रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए जनपद में टीबी चैंपियन अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। वे उन्हें बता रहे हैं कि टीबी का उपचार संभव है। वे क्षय रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को जोखिम मूल्यांकन के बारे जानकारी व उनकी उपचार साक्षरता बढ़ा रहे हैं और टीबी को देश के खत्म करने में अपना योगदान दे रहे हैं।

पढ़ाई के साथ-साथ टीबी रोगियों की मदद कर रहीं शिवानी

18 वर्षीय शिवानी 12 वीं क्लास में पढ़ती हैं और वे पढ़ाई के साथ-साथ ईस्ट आगरा में बतौर टीबी चैंपियन क्षय रोगियों की मदद कर रही हैं।शिवानी ने बताया कि वह दो साल पहले क्षय रोग से ग्रसित हो गई थीं। यह बात पता चलते ही पहले तो वे थोड़ी मायूस हुईं, लेकिन पिता ने ढांढस बंधाया और सही समय पर दवा खाते हुए उपचार पूरा कराया और वे स्वस्थ हो गईं। शिवानी ने बताया कि वह टीबी चैंपियन के रूप में टीबी रोगियों की काउंसलिंग करती हैं। उन्हें उपचार साक्षरता के बारे में बताती हैं और उन्हें समझाती हैं कि टीबी सही समय पर दवाइयों का सेवन करने से आसानी से ठीक हो सकता है।

ताकि दूसरों को न हो परेशानी
30 वर्षीय खंदौली क्षेत्र के गांव नगला हुल्सा निवासी लायक सिंह को 2015 में टीबी का संक्रमण हो गया था। पहले उपचार कराया लेकिन उन्हें एमडीआर टीबी हो गई। इस कारण उन्हें लगभग तीन साल उपचार कराना पड़ा। लेकिन सही समय पर दवा लेने और डॉक्टर के अनुसार चलने से अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं और खंदौली क्षेत्र में टीबी चैंपियन बनकर दूसरे टीबी रोगियों और संभावित टीबी रोगियों की मदद कर रहे हैं। वे संभावित टीबी रोगियों को केंद्र पर ले जाकर जांच कराते हैं और टीबी रोगियों की काउंसलिंग कर उन्हें बताते हैं कि सही समय पर दवा खाने से ये रोग पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। लायक सिंह बताते हैं कि उन्हें तो टीबी रोग होने पर भेदभाव के चलते नौकरी भी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त लोगों में कम जागरुकता थी, लेकिन अब टीबी को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है और टीबी रोगियों को सुविधाएं भी काफी बेहतर दी जा रही हैं।

दवा खाई स्वस्थ हुए और दूसरों की कर रहे मदद
36 वर्षीय बबलू राजौरिया फतेहपुर सीकरी के सिरौली गांव के निवासी हैं। पेशे से ड्राइवर बबलू समय बचाकर दूसरे क्षय रोगियों की भी मदद करते हैं। वे उन्हें फोन के माध्यम से या उनसे मिलकर उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताते हैं और उनके परिवार की भी काउंसलिंग करते हैं जिससे कि वे मरीज का साथ दें और खुद भी संक्रमण से बचे रहें। बबलू ने बताया कि उन्हें 2019 टीबी संक्रमण हुआ था। उन्होंने लगभग 18 महीने दवा खाई और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। वे सभी को बताते हैं कि टीबी का इलाज संभव है और टीबी मरीजों से भेदभाव न करें। इसे छिपाएं नहीं बताएं, जिससे कि उपचार संभव हो सके।

टीबी के खात्मे को कर रहे काम
27 वर्षीय युनुस खान को दसवीं कक्षा में टीबी का संक्रमण हो गया था। अब वे स्वस्थ होकर वर्ल्ड विजन संस्था के साथ आगरा में टीबी रोग के खात्मे के लिए काम कर रहे हैं। युनुस ने बताया कि जब उन्हें टीबी का संक्रमण हुआ तो उन्होंने डर के कारण परिवार के लोगों को भी नहीं बताया। उनके परिवार के नजदीकी डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने अपना उपचार कराया और उपचार के लिए पार्ट टाइम नौकरी भी की। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि वे टीबी को देश से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।
संवाद , दानिश उमरी