राजनीति

देश का राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है, इस बारे में सोच भी नहीं सकती हूं, मायावती


लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव में हुई हार की समीक्षा के लिए बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बैठक ली।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि

  • विधानसभा चुनाव के नतीजे इतने ज्यादा ख़राब आये जिसकी बसपा को उम्मीद नहीं थी
  • बसपा से जुड़ा मुस्लिम वोट एक तरफ़ा समाजवादी पार्टी की तरफ जाते हुए दिखा।
  • भाजपा सरकार की कार्यशैली व नीतियों से दुखी होने के बावजूद हिंदू समाज ने भाजपा को वोट दिया, ताकि सपा का गुंडा, माफिया, आतंकी, हल्ला बोल व भ्रष्ट राज वापस न आ जाये।
  • भाजपा के सत्ता में वापस आने बसपा को जबरदस्त राजनैतिक नुकसान हुआ। इसके लिए सपा और अधिकांश मुस्लिम समाज पूरी तरह से जिम्मेदार व कसूरवार है।
  • यूपी में सपा नहीं, बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो भाजपा को सत्ता में वापस आने से रोक सकती है। मेरी खुद की जाति का दलित वोट न तो भटका है और न ही गुमराह हुआ है। मेरे लोगों पर मुझे बहुत ज्यादा गर्व है और मैं उनकी तहे दिल से आभारी हूं।
  • सपा सरकार में खासकर अपरकास्ट समाज व अति पिछड़ा वर्ग उनके यादवों, गुंडों और माफियाओं के आतंक से भयभीत रहता है। इन सभी को हमें बसपा में वर्ष 2007 की तरह फिर से कैडर के जरिये जोड़ना है।
  • भाजपा सरकार में मुस्लिमों के साथ अपरकास्ट समाज व अति पिछड़ा वर्ग के लोगों का हर स्तर पर काफी शोषण और उत्पीड़न हुआ है। भाजपा ने इन वर्ग के लोगों को रोजगार देने के बजाय इनको मुफ्त राशन देकर इन्हें लाचार और गुलाम बना दिया है।
  • मुस्लिम, अपरकास्ट समाज व अति पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ-साथ मेरी जाति के लोगों को छोड़कर जो अन्य दलित जाति के लोग हैं, उन्हें भाजपा के हिंदुत्व से बाहर निकालकर बसपा में जोड़ना है।
  • विधानसभा चुनाव में बसपा को कमजोर और ख़त्म करने के लिए भाजपा ने साजिश करके आरएसएस संगठन के जरिये हमारे लोगों के बीच गलत प्रचार करवाया कि यूपी में बसपा की सरकार नहीं बनने पर हम आपकी बहन जी को देश का राष्ट्रपति बनवा देंगे।
  • वास्तव में मेरे लिए देश का राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है, बल्कि इस बारे में मैं अपने सपने तक में भी ऐसा बनने को लेकर कुछ सोच भी नहीं सकती हूं।
  • भाजपा द्वारा राष्ट्रपति बनने के प्रस्ताव को बहुत पहले ही मान्यवर कांशीराम जी ने ठुकरा दिया था, फिर मैं तो उनके पदचिन्हों पर चलने वाली उनकी मजबूत शिष्या हूं। ऐसा करने से अंत में हमारी पार्टी ख़त्म हो जाएगी।
    संवाद। अज़हर उमरी