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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष


स्वस्थ रहने के लिए शुगर को रखें नियंत्रित
आगरा। (डीवीएनए)बेहतर स्वास्थ्य के लिए सेहत का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है। वर्तमान में बड़ी संख्या में लोग अनियंत्रित शुगर की चपेट में आ रहे हैं | इसके कारण कई अन्य गंभीर बीमारियां भी लोगों को घेर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य दिवस (सात अप्रैल) पर इसके प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया जाएगा |
राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-21) के अनुसार जनपद आगरा में 3.7 प्रतिशत महिलाओं के शुगर का स्तर सामान्य से अधिक था और 3.2 प्रतिशत महिलाओं का शुगर स्तर सामान्य से ज्यादा अधिक था।

सर्वे के अनुसार 7.2 प्रतिशत महिलाओं को उच्च शुगर के स्तर होने के कारण दवाएं लेनी पड़ रही है। इसी प्रकार से एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार जनपद आगरा में 4.5 प्रतिशत पुरुषों के शुगर का स्तर सामान्य से अधिक था और 3.5 प्रतिशत पुरुषों का शुगर स्तर सामान्य से ज्यादा अधिक था। सर्वे के अनुसार 8.2 प्रतिशत पुरुषों को उच्च शुगर के स्तर होने के कारण दवाएं लेनी पड़ रही है।


सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि पहले ऐसी धारणा थी कि अनियंत्रित शुगर केवल ज्यादा वजन वाले लोगों को ही होती है। लेकिन अब मजदूर वर्ग और मेहनत करने वाले लोगों को भी अनियंत्रित शुगर हो रही है। उन्होंने बताया कि अनियंत्रित शुगर से बचने के लिए हमें अपनी दैनिक दिनचर्या को ठीक रखना चाहिए। इसके लिए नींद पूरी लेना, धूम्रपान और शराब से परहेज करना, तनाव से दूर रहना और समय से आहार लेना आवश्यक है।


डॉ. प्रभात ने बताया कि अब बच्चों में अनियंत्रित शुगर की परेशानी सामने आ रही है। कोविड काल में बच्चे काफी समय तक घर के भीतर ही रहे। उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हुईं। इस कारण से उनमें मोटापा बढ़ गया और उनकी शुगर का स्तर अनियंत्रित हो गया। मोटापा कम करने और समय से एक्सरसाइज करने से दोबारा से उनकी अनियंत्रित शुगर नियंत्रित हो रही है।


डॉ. प्रभात ने बताया कि जिन लोगों के परिवार में अनियंत्रित शुगर के मरीज हैं वह 25 वर्ष की उम्र से ही अपनी शुगर की जांच कराना शुरू कर दें। अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें और यदि अनियंत्रित शुगर के लक्षण दिखें तो जांच कराएं। शुगर का स्तर बढ़ने से थकान, कम दिखना और सिरदर्द जैसी समस्या होती है। चूंकि शरीर से तरल पदार्थ अधिक मात्रा में निकलते हैं , इसके कारण रोगी को अधिक प्यास लगती है। चोट या घाव लगने पर जल्दी ठीक नहीं होता।

संवाद:- दानिश उमरी