आगरा, ख़ानक़ाह हज़रत मैकश अकबराबादी मेवा कटरा आगरा में जश्न ए विलादत हज़रत इमाम हसन का आयोजन सज्जादानशीन हज़रत अजमल अली शाह जाफ़री नियाज़ी की सदारत में पांच रमजान अल मुबारक को किया गया,
अपने ख़िताब में हज़रत अजमल अली शाह जाफ़री नियाज़ी ने कहा कि जब हज़रत इमाम हसन की विलादत की मुबारक ख़बर बारगाहे नबवी मे पहुँची तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ख़ुशी और मसर्रत के साथ काशाने सैय्यदा मे तशरीफ़ लाएँ और फ़रमाया मेरे बेटे को मुझे दिखाओ, हज़रत असमा बिंत उमैस रज़िअल्लाह तआला अन्हा उस वक़्त वहाँ मौजूद थी उन्होंने शहज़ादे को एक ज़र्द रंग के कपड़े मे लपेटकर आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के आगोशे मोहब्बत मे दे दिया हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने ज़र्द रंग के कपड़े को देखकर फ़रमाया मेरे बेटे को ज़र्द रंग के कपड़े मे ना लपेटा करो चुनांचे उसी वक़्त उस ज़र्द रंग के कपड़े को हटा दिया गया और सफेद रंग के कपड़े मे लपेट दिया गया, हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने प्यारे शहज़ादे के दाएँ कान मे अज़ान और बाएँ कान मे अक़ामत इरशाद फ़रमाया फिर हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु से फ़रमाया, इसका क्या नाम तजवीज़ फ़रमाया उन्होंने अर्ज किया कि इसका इख़्तियार तो आपको है, अगर चाहें तो मौलूद का नाम हरब रख लें – हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ”मै वही का मुन्तज़िर हूँ! इतने मे ज़िब्रील अमीन अलैहिस्सलाम सब्ज़ कपड़े यानि पारचऐ जन्नती पर आपका मुनक्कश मुबारक नाम लेकर हाज़िरे ख़िदमत हुऐ, फिर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु से फ़रमाया कि हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के भाई हज़रत हारून अलैहिस्सलाम के बड़े बेटे का नाम ‘शब्बर’ था, इसका अरबी तर्जुमा ‘हसन’ बनता है, मेरे बेटे का नाम यही होगा!
इफ्तार से क़ब्ल इमाम हसन की नज़र पेश कर रोज़ा इफ्तार का अहतमाम किया गया,
इस मौके पर सैय्यद शब्बर अली शाह , सैय्यद मोहतशिम अली शाह , सैय्यद फैज़ अली शाह, सैय्यद फ़ाइज़ अली शाह, सैय्यद नक़ी अली शाह, भईया ज़ाहिद हुसैन, सनी नियाज़ी, अख्तर नियाज़ी, हाजी मोहम्मद इलियास, अख्तर वारसी खास तौर पर मौजूद रहे ,
संवाद। फैज़ान उद्दीन नियाज़ी