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भारत सरकार देश में सदभावना बिल लाए – सैयद नसिरुद्दीन चिश्ती

कोलकाता – आल इंडिया सूफी सज्जादनशीन कौंसिल के चेयरमेन एवं अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उतराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने अपने कोलक्ता में सूफ़ी मिट में प्रदेश की प्रमुख दरगाहों के धर्म गुरुओं और सूफ़ियों को सम्बोधित करते हुए कहा की भारत सरकार तुरंत प्रभाव से देश में सद्भावना बिल लाए ताकि देश में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता और धर्म के नाम पर विषकारी भाषणो पर लगाम लगाई जा सके ।

उन्होंने कहा कि आल इंडिया सूफी सज्जादानशीन कौंसिल देश भर की प्रमुख दरगाहो और खानकाहो का प्रतिनिधित्व करता है जिस मैं सूफी संतो के वंशंजो दरगाहो के सज्जादानशीन और सूफिज्म को मानने वालो को शामिल किया गया है ताके जो अमन और मोहब्बत का सन्देश पूरे देश में आम कर सके जैसे ख़्वाजा गरीब नवाज़ ने और अन्य सूफी संतो ने दिया है उसको आम लोगो तक पहुँचाया जा सके क्यों की सदियों से हमारे देश मैं सूफी संतो ने अमन और मोहब्बत का सन्देश दिया है इससे हमारे देश में गंगा जमुनी तहज़ीब क़ायम रही जिसका नतीजा में भारत और उसके आस पास ऐसा माहौल रहा जहाँ तमाम धर्मो के मांनने वाले सूफी संतो की दरगाह और खनकाहो मैं आते जाते रहते है आज भी देश मैं सभी दरगाहे और खनकाहो इसी रीति रिवाज को क़ायम रखे हुए है जिस वजह से आज हमारे मुल्क की गंगा जमुनी तहज़ीब पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है ।

सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा देश की तरक़्क़ी और देश को कामियाब बनाने एवं प्रगति की और तेज़ करने के लिए ज़रूरी है की देश में एकता व अखंडता बनी रहे इसके लिए देश हित मैं केंद्रे सरकार से मांग करी की केंद्र सरकार लोक सभा में राष्ट्रीय सदभावना बिल लाए जिसमे तमाम धर्मो के धर्म गुरु और बुद्धिजिव्वी की एक कमेटी बनायीं जाये जो देश मैं होने वाले धार्मिक ऊँवाद और धर्म के नाम पर फैल रही घृणा को रोकने और दूर करने का काम करे ।उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के बीच सदियों तक कायम रहे परस्पर विश्वास को कायम करने के लिए दोनों धर्मों के धर्म गुरुओं को एक साथ आना होगा तभी दोनों संप्रदायों में परस्पर विश्वास कायम किया जा सकेगा और जब विश्वास कायम होगा तभी दोनों धर्मों के बीच कई विवादित बिंदुओं पर आम सहमति बन सकेगी।

नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि ऐसे ही कट्टरवादी व तथाकथित लोग आजकल कभी धर्म के नाम पर कभी जाति के नाम पर कुछ भी बयान बाज़ी कर रहे है और सड़कों पर धार्मिक नारेबाज़ी हो रही है जो इस देश के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए विनाश और विनाश ही लाएगी हमें इन सब कट्टरता वाले कामों पर लागाम लगानी होगी और देश के हर नागरिक को यह समझना होगा की देश का सविधान ही देश में क़ायम रहेगा लोग अपने अपने धर्म के आधार पर इस देश के सविधान को समाप्त करने की कोशिश ना करे। सविधान हमें अपने अपने धर्म के समस्त रीति रिवाज और धार्मिक कार्य करने की अनुमति देता है लेकिन हमें वह समस्त धर्मिक कार्य अपने अपने धार्मिक स्थलों और अपने घरों में रहकर ही करने चाहीए ना किसी को हानि या परेशान करके हम जब घर से बाहर हो तो सिर्फ़ और सिर्फ़ सविधान के अनुरूप एक भारतीय बन कर ही अपनी दिनचर्या करे और देश को ही अपना धर्म व कर्म मान कर देश को मजबूत करने में इस की एकता अखंडता क़ायम रखने में अपना योगदान दे।

अंत में सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा की याद रहे जब हम कहीं बाहर जातें हैं। वहां दुनिया हमें हिंदू, मुस्लिम, सिख इन नामों से नहीं पहचानती बल्कि हमारी पहचान का आधार वहां हिंदुस्तानी होना होता है। यहां तक कि हज और उमरा करने जाने वाले भारतीय मुसलमानों को भी वहां के अरब ‘हिंदी’ कहकर पुकारतें हैं।


संवाद , अज़हर उमरी