अज़मेर । अंदर कोट में रहने वाले दो भाई-बहन ने रोजा रखा है. मोहम्मद आतिफ मुलतानी और आलिमा नूर मुलतानी नाम के इन छोटे बच्चों का कहना कि उन्होंने अपने मर्जी से रोजा रखा है. इन बच्चों के पिता अब्दुल कादिर मुल्तानी ने बताया कि मुस्लिम समुदाय में सबसे पवित्र रमजान का महीना चल रहा है. इस उम्र के बच्चें खाने-पीने और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं. लेकिन हमारे दोनों बच्चों ने रोजा रखकर नसीहत पेश की है.
इस रमजान के पाक महीने का पहला रोज़ा रख कर सूफ़ी संत हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर पेश कर हाज़री दी व जन्नती दरवाज़े पर मुल्क में अमन चैन, खुशहाली,भाईचारे की व पढ़ाई में अच्छे नंबरों से पास होने की दुआ की,
एक ओर जहां तेज गर्मी में भूख-प्यास बड़े-बड़े तक सहन नहीं कर पाते, वहीं दूसरी ओर रमजान में नौनिहाल भी रोजे रख रहे हैं। खेलने-कूदने की उम्र में ये बच्चे रोजा रखने के साथ ही इससे जुड़े सभी नियमों का पालन भी कर रहे हैं। बच्चों ने जिद कर रोजा रखा हुआ है। इन्हें जहां रोजेदारों की दुआ मिल रही है, वहीं मुस्लिम समाज के लोगो ने माला पहनाकर इनका हौसला अफजाई कर रहे हैं।
अज़मेर शहर में इससे कम उम्र के बच्चे भी न केवल रोजा रख रहे हैं, बल्कि वे खास तौर से गलत बात व झूठ बोलने सहित अन्य बातों से परहेज कर रहे हैं, ताकि उनका रोजा खराब न हो। ये बच्चे जल्दी उठकर दिनभर कुरान शरीफ पढऩे के साथ खुदा की इबादत में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। साथ ही परिवारजनों से कई सवाल जवाब भी करते हैं।
मोहम्मद आतिफ मुलतानी ने बताया कि घर के सभी बड़े- बुजुर्गों को रोजा रखते हैं। इस कारण उन्होंने भी रोजा रखा है।
आलिमा नूर मुलतानी आज पहला रोज़ा रखकर कर बहुत ख़ुशी हो रही है हर साल पूरे रमजान की रोज़े रखेंगे,
संवाद। मोहम्मद नज़ीर क़ादरी