राजनीति

विपक्षी दलों के साझे बयान से अखिलेश और मायावती की दूरी उनकी सत्ता पक्ष से नजदीकी दर्शाती है- शाहनवाज़ आलम

आज़ादी से पहले भी संघी लोग अंग्रेज़ों के कहने पर मस्जिदों के बाहर ढोलक बजाकर माहौल खराब करने का काम करते थे
लखनऊ, । मोदी सरकार देश में एक स्थाई तनाव और ध्रुविकरण का माहौल बनाना चाहती है। जिसके खिलाफ़ सिर्फ़ कांग्रेस ही लड़ और बोल रही है। इसी के तहत सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने जनता से सद्भाव बनाए रखने की साझी अपील जारी की है।
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा हर रविवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से होने वाले स्पीक अप कार्यक्रम के 42 वें संसकरण में प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि समाज को धैर्य बनाए रखने की ज़रूरत है। जो संघी गुंडे आज मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर लगा कर नारेबाजी कर रहे हैं वो कोई नया काम नहीं कर रहे हैं। 30-40 के दशक में भी अंग्रेज़ सरकार के पुलिस के सहयोग से ये लोग मस्जिदों के बाहर ऐसी ही हरकतें करते थे। जिसका मकसद आम भारतीय लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित कर कांग्रेस और गांधी जी से जुड़ने से रोकना था। तब अंग्रेज सरकार संघ और हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं से यह काम लेती थी और बदले में सावकर को 60 रूपये प्रति माह वजीफा देती थी। आज भी वही हो रहा है। भाजपा सरकार के संरक्षण और पुलिस के सहयोग से ये लोग हिंदूओं और मुसलमानों में दूरी पैदा कर मोदी सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उस समय भी देश ने इन्हें नकारा था और इस बार भी देश इन्हें नकारेगा।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुस्लिम समाज को सोचना चाहिए कि देश के बिगड़ते माहौल के खिलाफ़ 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने जो साझा बयान जारी किया है उसमें सपा और बसपा के नेता क्यों नहीं शामिल हैं। आख़िर इन्हें भाजपा के विभाजनकारी राजनीति से दिक्कत क्यों नहीं है या अगर वो इसके विरोधी हैं तो खुल कर विरोध करने का साहस क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को समझना चाहिए कि जो अखिलेश यादव अपने मुस्लिम विधायकों शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन के साथ नहीं खड़े हो सकते वो आम मुसलमानों के न्याय के लिए कैसे खड़े हो सकते हैं।