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हज़रत अली ने इस्लाम व इंसानियत के लिए दी शहादत-ख़्वाजा सलमान

सहारनपुर: हज़रत मुहम्मद साहब के दामाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस रात्रि शुक्रवार को मोहल्ला क़ाज़ी में बड़े एहतराम व अकीदत के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ख़्वाजा सलमान नासरी,साबरी अध्यक्ष खानकाहें नासरीया,साबरीया ख्वाजगाने सहारनपुर ने अपनी तकरीर में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की विशेषताओं और जीवन के मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हज़रत अली ने इस्लाम व इंसानियत के लिए अपनी शहादत देकर इस्लाम को ज़िंदा रखा और अपनी पूरी ज़िंदगी वक्फ कर दी। हज़रत मुहम्मद साहब(स०अ०व०) ने उनके इल्म को उजागर करते हुए हदीस में कहा मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाज़ा हैं। हज़रत मुहम्मद साहब ने हज़रत अली के चेहरे की ज़ियारत व मोहब्बत को इबादत बताया। उन्होंने कहा कि हज़रत अली पराकर्मी के साथ-साथ गरीबों के मसीहा व इंसाफ पसंद थे। इस मौके पर सज्जाद हुसैन एडवोकेट संरक्षक उर्दू तालिमी बोर्ड ने हज़रत अली की सीरत व शहादत के बारे में कहा कि हमेशा अपनी सोच को पानी के बूंदो से भी ज्यादा साफ रखो, क्योंकि जिस तरह बूंदों से समुंदर बनता है उसी तरह सोच से ईमान बनता है। दानिश सिद्दीकी महासचिव उर्दू तालिमी बोर्ड ने बताया कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत 21 रमज़ान सन 40 हिजरी में मस्जिद ऐ कूफा में हुई थी। हज़रत अली उस वक़्त जब वे सुबह की नमाज़ पढ़ा रहे थे तो दुष्ट इब्ने मुल्जिम ने ज़हर से बुझी तलवार से उनपे वार किया और उन्हें इतना ज़ख़्मी कर दिया की तीन दिन के बाद 21 रमजान को मौला अली दुनिया से रुखसत हो गए। उन्होंने अपने परिजनों को इकट्ठा करके वसीयत की और शांत हृदय से वे अपने पालनहार से जा मिले।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार एवं प्रसार के लिए प्रयास करते रहे। हज़रत अली ने हमेशा राष्ट्रप्रेम और समाज से भेदभाव हटाने की कोशिश की तथा यह भी कहा था कि अपने शत्रु से भी प्रेम करो तो वह एक दिन तुम्हारा दोस्त बन जाएगा। हज़रत अली ने अपने जीवन के अन्तिम महत्वपूर्ण क्षणों में उन्होंने जो वसीयत की है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए पाठ है जिससे हमारी युवा पीढ़ी लाभ उठाये और हज़रत अली के दिखाए मार्ग पर चले।
कार्यक्रम के दौरान हज़रत अली अलैहिस्सलाम को खिराजे अकीदत पेश कर उनके लिए दुआये मगफिरत की। इस अवसर पर जुनैद सज्जाद,ख़्वाजा अफ़नान नासरी,नवेद उल हक सिद्दीकी, ख़्वाजा शयान चिश्ती,अरशद रहमानी,जमाल नासरी,राफे सिद्दीकी,आदि ने हज़रत अली की शहादत को याद किया।