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मौला ए कायनात हज़रत अली की शहादत को किया गया याद

अजमेर, उस्मानी मुईनी गुदड़ी शाही ख़ानक़ाह के सरपरस्त हज़रत इनाम हसन गुदड़ी शाह बाबा पंजीम अजमेरी की सरपरस्ती में अजमेर स्थित दरगाह गरीब नवाज में मौला ए कायनात हजरत अली की शाहदत को याद किया गया,
हज़रत इनाम हसन गुदड़ी शाह बाबा पंजीम अजमेरी ने हज़रत अली की शहादत बयान करते हुए कहा कि मुहम्मद साहब को हज़रत अली से बेपनाह मोहब्बत थी,पैगंबर मोहम्मद साहब पर जब आसमानी किताब नाज़िल होने लगी, तब हज़रत अली की उम्र महज़ 10 साल थी,खैबर की जंग में मरहब पहलवान को शिकस्त और खैबर की जंग को फतह करने के बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने हज़रत अली को असदउल्लाह का लकब दिया, जिसका मतलब होता है ‘ईश्वर का शेर’.कई मौक़ों पर पैगंबर मोहम्मद ने फरमाया कि “मैं इल्म का शहर हूं और अली उस शहर का दरवाज़ा”.
हज़रत ने कहा कि 19 रमज़ान की सुबह कूफा की मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने के लिए हज़रत अली मस्जिद गए थे. वहीं मस्जिद में मुंह के बल अब्दुर्रहमान नाम का एक व्यक्ति सो रहा था. इसको हज़रत अली ने नमाज़ पढ़ने के लिए जगाया. इसके बाद हज़रत अली खुद नमाज़ पढ़ने में मशगूल हो गए. हज़रत अली जैसे ही नमाज़ में सजदा करने गए और अपने सिर को ज़मीन पर टेका, तभी पीछे से अब्दुर्रहमान ने ज़हर में डूबी तलवार से उनके ऊपर वार कर दिया. ज़हर में डूबी तलवार का पूरा ज़हर उनके बदन में तैर गया और 21 वे रमज़ान को आपकी शहादत हुई,
इस मौके पर आगरा से भी गुदड़ी शाही अकीदत मंद अजमेर शरीफ गए थे मुख्य रूप से मोहम्मद अमीन गुदड़ी शाही, हाजी तौसीफ़, सैयद मुबारक अली, सैयद अमजद हुसैन, अखिया भाई ,इमरान भाई,
संवाद , फैज़ान उद्दीन नियाज़ी