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जामिया अशरफिया मुबारकपूर में बुलडोज़र की कार्रवाई नाक़ाबिले बर्दाश्त:MSO

नई दिल्ली। जामिया अशरफिया मुबारकपूर में 30 साला पुरानी टीचरज़ कॉलोनी पर मुबारकपुर प्रशासन की तरफ़ से बुलडोज़र चलाए जाने पर मुस्लिम स्टूडैंटस आर्गेनाईज़ेशन आफ़ इंडिया के राष्ट्रिय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर अशरफी ने शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए कहा है कि उतर प्रदेश में बुलडोज़र के ज़रीया से इन्साफ़ का जनाज़ा निकाला जा रहा है। और अब ये बुलडोज़र हमारे मदरसों तक पहूंच गया है। जहां पर गै़रक़ानूनी कह कर मदरसे की इमारत को ज़मीन बोस करने की कोशिश की जा रही है.

मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर अशरफी ने कहा है कि मुबारकपूर प्रशासन की तरफ़ से जामिया अशरफिया के जिस इमारत पर बुलडोज़र चलाने की कोशिश की गई है। इस का मुआमला अभी अदालत में ज़ेर-ए-ग़ौर है। इस के बावजूद बिना किसी तहरीरी नोटिस के जामिया के बिल्डिंग को तोड़ने की कोशिश की गई।उन्होंने कहा कि जामिया अशरफिया मुबारकपूर एक एक अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्द मदरसा है। जिसमें हिंदुस्तान के इलावा दुसरे देशों के तलबा भी तालीम हासिल करते हैं। वहीं इस जामिया से अब तक हज़ारों की तादाद में तलबा फ़ारिग़ हो कर मुल्क व मिल्लत की ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं। लेकिन इस के बावजूद ऐसे आलमी सतह के मदरसे की बिल्डिंग को बिना किसी तहरीरी इत्तिला के तोड़ना शुरू कर दिया गया। जो नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त है.

उन्होंने कहा कि इस वक़्त मदरसा बंद है। और जिस बिल्डिंग को तोड़ने की कोशिश की गई है। इस में जामिया के टीचर रहते हैं।इस में उनके लाखों को सामान रखे हुए हैं। उसे ख़ाली करने की भी मोहलत नहीं दी गई। और बिल्डिंग को तोड़ने के लिए बुलडोज़र लेकर पहूंच गए। हालाँकि जिस बिल्डिंग की ज़मीन को गै़रक़ानूनी बताया जा रहा है।इस के बारे में जामिया के नाज़िम आला हाजी सरफ़राज़ अहमद का कहना है कि, जिस ज़मीन पर टीचरज़ कॉलोनी बनाई गई है, इस की रजिस्ट्री50 साल पहले करवाई गई है।हमने पूरब की तरफ़ जाने वाले रास्ते के लिए10 फुट ज़मीन छोड़कर एक कॉलोनी बनाई है, इस रास्ते के बाद एक नाला था जिस पर कुछ लोगों ने काग़ज़ात में धांदली और हेराफेरी करके क़बज़ा कर लिया है, और नक़्शा बदल कर नाले को अहाते के अंदर धकेल दिया गया है। और अभी इस मुआमला की सुनवाई अदालत में हो रही है। इस के बावजूद इसे तोड़ने की कोशिश की गई।

उन्होंने कहा कि हुकूमत को तो चाहीए था कि जामिया को इन्साफ़ दिलाए और जिन लोगों ने ज़मीन पर क़बज़ा करने की कोशिश की है उन्हें सज़ा दिलाए। ना कि जामिया की बिल्डिंग को ही तोडा जाए.

संवाद। शोएब क़ादरी