ढ़ाई रुपये प्रति ट्वीट पर गधे को घोड़ा साबित करने में लगा है संघ
लखनऊ, । संघ परिवार अपने जन्मकाल से ही नेहरू परिवार के खिलाफ़ छवि बिगाड़ने और अफवाह फैलाने के काम में लगा है। आज़ादी से पहले ये लोग नेहरू से नफरत के कारण ही अंग्रेज़ों की मुखबीरी करते थे। एक आम संघी का पूरा जीवन इस परिवार के खिलाफ़ अफवाह फैलाने और झूठ बोलने में बीतता है। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा हर रविवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से होने वाले स्पीक अप कार्यक्रम के 45 वीं कड़ी में अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कही,
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संघ के लोग नेहरू जी से इसलिए चिढ़ते थे कि उन्होंने दलित समाज से आने वाले भीमराव अम्बेडकर को संविधान के ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बना दिया था। वहीं इंदिरा गांधी से इसलिए चिढ़ते थे कि उन्होंने रजवाड़ों को मिलने वाला प्रीवी पर्स को खत्म कर दिया जो संघ के चंदे का सबसे बड़ा स्रोत था। इंदिरा गांधी द्वारा 7 नवम्बर 1966 को साधु के भेस में संसद पर हमला करने गए संघी तत्वों के खिलाफ़ सख़्त कार्यवाई से भी वो इंदिरा गांधी से चढते थे। संविधान में 42 वां संशोधन करके संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ने और कई राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री बना देने से भी संघी इंदिरा गांधी से नफरत करते थे। उसी तरह राजीव गांधी द्वारा तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने से भी संघी चिढ़ते थे क्योंकि वो अपने अवैज्ञानिक सोच के विस्तार में इसे बाधा समझते थे।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर एक आदर्श संघी परिवार की पड़ताल की जाए तो हम पाएंगे कि उसका दादा नेहरू के खिलाफ़ अफवाह फैलाता था, बाप इंदिरा गांधी के खिलाफ़ अफवाह फैलाता था और पोता राहुल गांधी के खिलाफ़ अफवाह फैला रहा है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ़ संघी इसलिये अफवाह फैलाते हैं क्योंकि वही एक मात्र राजनेता हैं जो देश विरोधी संघ और उनके आर्थिक अन्न दाताओं के मुखर विरोधी हैं। संघियों के अंदर इस बात की बहुत कुंठा है कि राहुल गांधी जी बहुत पढ़े लिखे हैं और मोदी जी की डिग्री ही फर्ज़ी है। उन्होंने कहा कि संघ गधे को घोड़ा साबित करने के लिए ढाई रुपये प्रति ट्वीट पर लोगों को रखता है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि संघियों के दुष्प्रचार से गांधी नेहरू परिवार से आने वाला नेतृत्व और निखर कर सामने आता है।
संवाद , अज़हर उमरी