ए एस आई के आगरा जोन के संबंध में कडी टिप्पणियों के साथ निस्तारित की अनिल शर्मा की अपील
आगरा ,आगरा की विरासत संपदा में से अधिकांश महत्वपूर्ण पुरातत्व सर्वेक्षण भारत के आगरा जोन के तहत स्थित है,पिछले चालीस साल से इसके संरक्षण को लेकर अनेक मुकदमे सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, तथा स्थानीय न्यायलयों में विचाराधीन रहे हैं लेकिन इनकी पूरी जानकारी ए एस आई के स्थानीय सक्षम अधिकारियों को नहीं है। वह यह भी बताने की स्थिति में नहीं है कि इन वादों में पक्षाकार कौन हैं।
केन्द्रीय सूचना आयुक्त उदय साहूरकर ने ए एस आई के द्वारा जानकारियों उपलब्ध न होने को गंभीरता से लेकर निर्देश दिया है कि आर टी आई एक्ट के तहत प्राप्त आवेदनों को गंभरता से लिया जाये तथा उनके माध्यम से मांगी गयी जानकारियों को आर टी आई एक्ट के उद्देश्यों के अनुरूप ही दिया जाये।
सूचना आयुक्त साहूरकर ने उपरोक्त आदेश सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के जनरल सेकेट्री अनिल शर्मा के द्वारा निजी तौर पर दिये गये प्रार्थना पत्र के निस्तारण को 19 अप्रैल 2022 की गई सुनवाई के दौरान दी।
याची अनिल शर्मा ने 15 सितंबर 2020 को आर टी आई 2005 के तहत आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आगरा जोन के जनसूचना अधिकारी को अर्जी दी थी,कार्यालय से प्राप्त सूचना अधिकारी के जवाब से असंतुष्ट होने पर 3 नवंबर 2020 को प्रथम अपील की जिसे कि 14 दिसम्बर को अपीलीय अधिकारी के द्वारा संज्ञान में लिया गया। इसी क्रम में अब नेशनल कमीशन के द्वारा अपील को स्वीकारते हुए उपयुक्त निर्देशों के साथ निस्तारित कर दिया।
आवेदक के रूप में शर्मा ने अपनी जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत जिन चार बिंदुओं पर जानकारी के लिये आवेदन किया था।
मुकदमों और वादकारियों की मांगी जानकारी
उनमें एक उन सक्रिय जनों /संगठनों के बारे में भी था जो कि (पर्यावरण व अन्य)के मुद्दे को पूरा स्मारकों के संरक्षण से जोड़कर सुप्रीम कोर्ट,हाईकोर्ट और स्थानीय न्यायालय में वाद दाखिल करते रहे हैं। पिछले चालीस साल की अवधि में पुरातत्व विभाग की सूची के आगरा स्थित स्मारकों के संरक्षण को लेकर मुकदमे लड रहे हैं।
याची ने इन मुकदमों के निस्तारण या नवीनतम स्थिति के अलावा वादकारियों के द्वारा दाखिल हलफनामे के बारे में भी पूछा है।
याची ने सरकार के द्वारा इमारतों के संरक्षण के संबंध में दिये गये निर्देशों के बारे में भी पूछा है।
जानकारियां पारदर्शिता तथा तथ्यात्मक हों
प्रतिवादी ए एस आई के प्रतिनिधि के द्वारा दिये गये जबाब को संज्ञान में लेकर कमीशन का मानना है कि दिये गये जवाब गैर जिम्मेदाराना और सूचना अधिकार अधिनियम (आर टी आई) के उस मकसद के विरुद्ध हैं जो पारदर्शिता तथा तथ्यात्मक जानकारी देने वाले नहीं हैं। जानकारी को पुरान कहकर या यह वाद विशेष के संबंध में नहीं मांगी गयी है जैसे जवाब देना एक्ट की भावना के अनुकूल नहीं है।
दस साल का ही रिकार्ड उपलब्ध करवायें
पीठासीन सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर ए एस आई के पास चालीस साल का रिकॉर्ड नहीं है तो उसे 10 साल पुराना रिकॉर्ड तो याची को उपलब्ध करवाना अपेक्षित है।साथ ही प्रतिवादी को चेतावनी भी दी ए एस आई को आर टी आई एक्ट के तहत प्राप्त होने वाली अर्जियों को आर टी आई एक्ट के उद्देश्यों को दृष्टिगत ही याची अनिल शर्मा ने कहा है कि पुरा संपदा का संरक्षण एक बड़ी चुनौती है, जब से आगरा ए एस आई के अधिकार क्षेत्र में आया तब से पुरातात्विक महत्व के ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण का कार्य जारी है, इस कार्य के साथ ही महानगर का विकास भी हुआ और प्रदूषण उत्सर्जन स्रोतों को भी बंद करवाने का काम भी हुआ। किन्तु पिछले चालीस साल से आगरा के पुरास्मारकों के संरक्षण को लेकर तमाम संगठन और पर्यावरण विद् अत्यधिक जागरूक हो गये हैं, और जमकर वाद दायर करने अदालतों में पहुंचे हैं।
आधिकारिक सूची सहज सुलभ हो
शर्मा ने कहा कि इन मुकदमों के फलस्वरूप दूरगामी परिणाम क्या होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन आम नागरिकों की जरूरतों की अवस्थापनाओं और आवश्यक सेवाओं का विस्तार पर जरूर इनके कारण जरूर प्रभावित हो रहा है। इसमें भी दिलचस्प तथ्य यह है कि अधिकांश वाद आगरा के बाहर के एन सी आर-दिल्ली में रहने वालों के द्वारा दायर किये हुए हैं।
वादकारी कहां के हैं,मुझे इसमें भी कोई परेशानी नहीं है किन्तु इतना जरूर चाहता हूं कि आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को जरूरत मालूम हो जाये कि ‘आगरा और उसके पर्यावरण संरक्षण को चिंतित रहने वाले सुधिजन ‘ कौन है और कहां के रहने वाले हैं।आर्केलाजी के द्वारा दस साल में दायर मुकदमो के बारे में भी अगर सूचना उपलब्ध करवा दी गयी तो वह सुधी जनों की आधिकारिक सूची होगी।
जिसका उपयोग जब भी जरूरत होगी आगरा की पूरी विरासत के संरक्षण और के नागरिक हितों के लिये किया जा सकेगा।
प्रेस कांफ्रेंस को शिरोमणी सिंह और अनिल शर्मा ने संबोधित किया।
संवाद , फैज़ान उद्दीन नियाज़ी