लखनऊ – “फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी लाभार्थी फाइलेरिया रोधी दवा खाने से न छूटे, इसके लिए प्रदेश से लेकर ग्राम स्तर के अंतिम छोर तक गहन मोनिटरिंग के साथ कार्य करना होगा साथ ही जनपद से लेकर ब्लॉक स्तर के समस्त फाइलेरिया रोगियों की सूची बनाकर उनके इलाज का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाये “ ये उदगार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने आज से प्रदेश के 19 जनपदों में शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का वर्चुअल उदघाटन करते समय व्यक्त किये । इस अवसर पर प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री एवं सदर विधायक बलरामपुर, पलटूराम, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, भारत सरकार की निदेशक डॉ. तनु जैन एवं अपर निदेशक डॉ. नूपुर रॉय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश के निदेशक संचारी रोग डॉ. ए.के.सिंह, संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी फाइलेरिया डॉ. वी.पी.सिंह, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कंट्री प्रतिनिधि केला लार्सन एवं डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ , प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधियों के साथ ही उन जनपदों के जिलाधिकारियों, स्वास्थ्य अधिकारियों और मीडिया सहयोगियों के अतिरिक्त ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया, जहाँ आज से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है ।
डॉ. नूपुर रॉय ने कहा कि प्रदेश में सभी सहयोगी संस्थाएं, सरकार के साथ जिस तरह समन्वय बनाकर कार्य कर रहीं हैं, पूरी आशा है कि प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन बहुत जल्दी होगा । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया कार्यक्रम की उपलब्धि में गत 3 वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है
निदेशक संचारी रोग डॉ. ए.के.सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि आशा के माध्यम से उसके क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के पात्र लाभार्थी द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही सुनिश्चित किया जाये ।
इस अवसर पर, संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी फाइलेरिया डॉ. वी.पी.सिंह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, ने कहा कि आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 19 जनपदों यथा- गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, गाजीपुर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, सुल्तानपुर, रायबरेली और कौशाम्बी में दिनांक 12 मई 2022 से 27 मई 2022 तक आज से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए./आई.डी.ए.) कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त जनपदों में जनपद रायबरेली में आई.डी.ए कार्यक्रम एक सप्ताह बाद आयोजित किया जायेगा | उन्होंने बताया कि एमडीए गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा, जिसमें हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल हैं । उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में 17 जनपदों में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए 2 दवाएं डी.ई.सी. और अल्बंडाज़ोल एवं कौशाम्बी और रायबरेली में 3 दवाओं डी.ई.सी. और अल्बंडाज़ोल के साथ आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति यों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। डॉ. सिंह ने बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा हाइड्रोसील और लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं उनको समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में वर्ष दिसम्बर 2021 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के लगभग 26 हज़ार मरीज़ और लिम्फेडेमा के लगभग 83 हज़ार मरीज़ हैं । डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं । रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं । सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं । और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं ।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी और केला लेज़रसन ने संयुक्त रूप से कहा कि मास ड्रग कार्यक्रम के दौरान सभी लाभर्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाने से फाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रमण से बचाव सुनिश्चित होगा ।
प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री एवं सदर विधायक बलरामपुर, पलटूराम ने समस्त प्रतिभागियों से फाइलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने का आवाहन किया ।