इंटरपोल के प्रधान सचिवालय द्वारा, राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) और अधिकृत संस्थाओं के निवेदन पर 8 प्रकार के नोटिस जारी किए जाते हैं। ये नोटिस इंटरपोल की चार आधिकारिक भाषाओँ; अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी और स्पेनिश में प्रकाशित किए जाते हैं। इस तरह के नोटिस जारी करने के पीछे इंटरपोल का मुख्य उद्येश्य सदस्य देशों की पुलिस को सतर्क करना होता है ताकि संदिग्ध अपराधियों को पकड़ा जा सके या खोये हुए व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके।
यह नोटिस वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी या उनके प्रत्यर्पण को हासिल करने के लिए जारी किया जाता है। रेड कॉर्नर नोटिस एक ऐसे व्यक्ति को ढूंढने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध है जिसे आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है लेकिन सिर्फ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति दोषी है; उसे अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाना चाहिए। इस प्रकार का नोटिस एक सदस्य देश के अनुरोध पर प्रधान सचिवालय द्वारा किसी अपराधी के खिलाफ सदस्य देश द्वारा गिरफ़्तारी वारंट के आधार पर जारी किया जा सकता है। रेड कॉर्नर नोटिस एक अंतर्राष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है। भारत सरकार के अनुरोध पर दाऊद इब्राहिम के खिलाफ यह नोटिस जारी किया गया है।
जिस व्यक्ति के खिलाफ “इंटरपोल” ने रेड कार्नर नोटिस जारी किया है; इंटरपोल उस वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए किसी सदस्य देश को मजबूर नहीं कर सकता है। प्रत्येक सदस्य देश को यह अधिकार है कि वह यह तय करे कि उसकी सीमा के भीतर इंटरपोल के ‘रेड कार्नर नोटिस’ का क्या कानूनी मूल्य है। अर्थात इस नोटिस में यह प्रावधान है कि किसी भी सदस्य देश की संप्रभुता के लिए किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न ना हो।
क्या इंटरपोल गिरफ्तारी वारंट जारी करता है?
नही, बिलकुल नही। इंटरपोल गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करता है बल्कि गिरफ्तारी वारंट उस देश की पोलिस या अदालत द्वारा जारी किया जाता है जहाँ पर अपराधी ने अपराध किया होता है। इसके अलावा कोई इंटरनेशनल कोर्ट भी किसी वांछित व्यक्ति के विरुद्ध गिरफ़्तारी वारंट जारी कर सकता है।
इंटरपोल किसी अपराधी के लिए तभी नोटिस जारी करता है जब उसका संविधान इस बात की इजाजत देता हो। इसके द्वारा किसी सरकार या एजेंसी की रिक्वेस्ट को तभी स्वीकार किया जाता है जब वे इंटरपोल की तमाम शर्तों पर खरे उतरते हों क्योंकि कई बार कुछ देश अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए भी किसी व्यक्ति के विरुद्ध नोटिस जारी करवा सकते है; ऐसे में इन सबसे बचने के लिए इंटरपोल के पास अधिकार है कि वह धार्मिक आधार, राजनीतिक आधार और किसी अन्य आधार से प्रेरित अगर कोई रेड कार्नर नोटिस की रिक्वेस्ट आती है तो वह उसके लिए नोटिस जारी करने से मना कर सकता है। जैसे भारत की ओर से इस्लामिक गुरु जाकिर नाइक के खिलाफ इंटरपोल ने नोटिस जारी करने से मना कर दिया था क्योंकि भारत की पुलिस ने जाकिर के खिलाफ बिना आरोप पत्र दाखिल किये इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस जारी करने की मांग की थी।
रेड कार्नर नोटिस क्यों जारी किया जाता है?
इंटरपोल मुख्य रूप से 8 प्रकार के नोटिस जारी करता है लेकिन रेड कार्नर नोटिस को किसी अधिक अपराधी/आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ नोटिस जारी किया जाता है वह इंटरपोल के सभी सदस्य देशों के हवाई अड्डों, रेलवे, जल सीमा इत्यादि पर पुलिस की नजर में रहता है. इन जगहों पर उसके पोस्टर चिपकाये जाते हैं और जैसे ही व्यक्ति पुलिस के हत्थे चढ़ता है उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है।
अक्सर ऐसा होता है कि अपराधी किसी देश में अपराध करने के बाद उस देश को छोड़कर किसी अन्य देश में चला जाता है तो ऐसे हालत में उस व्यक्ति के लोकेशन को जानने और वांछित देश की पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करने के लिए सभी देशों के सहयोग की कोशिश होती है। ऐसे अपराधी को पकड़ने के लिए सरकार दूसरे देश की पुलिस की मदद लेने के लिए इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी करवाती है जिसकी वजह से जिस देश में अपराधी छुपा है उस देश की पुलिस के सहयोग से अपराधी का प्रत्यर्पण किया जा सके। इस प्रकार रेड कार्नर नोटिस की मदद से गिरफ्तार किये गए अपराधी को उस देश भेज दिया जाता है जहाँ पर उसने अपराध किया होता है और वहीँ पर उसके ऊपर उसी देश के कानून के हिसाब से मुकदमा चलता है और सजा दिलाई जाती है।
भारत ने व्यापारी विजय माल्या, अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, ललित मोदी, जाकिर नाईक, दाऊद इब्राहिम जैसे लोगों के खिलाफ इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस जारी करवाया है और इन लोगों की गिरफ़्तारी के प्रयास किया गए हैं।