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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास का दावा,आगरा के लाल किले की बेगम मस्जिद में दबी हैं भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां’

एएसआई के रिकॉर्ड में बेगम साहिबा की मस्जिद नाम से आगरा के किले में कोई मस्जिद नहीं है

आगरा ,मथुरा में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में ठाकुर केशव देव के विग्रह को आगरा किले की बेगम साहिबा की मस्जिद से निकालने की याचिका पेश की गई है, जो चर्चाओं में है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास की ओर से पेश दावे के बाद बेगम साहिबा की मस्जिद का रिकॉर्ड तलाशा गया। एएसआई के रिकॉर्ड में बेगम साहिबा की मस्जिद नाम से आगरा के किले में कोई मस्जिद नहीं मिली। पुरातत्व विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर एम सी शर्मा के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिकॉर्ड में बेगम साहिब की मस्जिद दर्ज नहीं है। दावे में जिस मुगलकालीन पेंटिंग का हवाला दिया गया है, उस इमारत की तरह से किले के बाहर शहजादी जहांआरा द्वारा बनवाई गई जामा मस्जिद है, लेकिन उसका नाम किसी दस्तावेज में बेगम साहिब की मस्जिद नहीं है। एएसआई की ओर से आगरा किला में तीन मस्जिदों को संरक्षित किया गया है। इनमें मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद हैं। इनका निर्माण शाहजहां के दौर में किया गया था।
एएसआई की ओर से आगरा किला में संरक्षित तीन मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद का निर्माण शाहजहां के दौर में किया गया था। ये तीनों मस्जिदें संगमरमर की हैं। सबसे बड़ी मोती मस्जिद है, जो मीना बाजार से सटी है और वाटरगेट की ओर मुख्य दरवाजा है। यह पर्यटकों के लिए बंद है। दूसरी रतन सिंह की हवेली के पास मच्छी भवन से सटी नगीना मस्जिद है, जो संगमरमर से बनी है। यह शाही परिवार के लिए थी, जबकि दीवान ए खास के पास मीना मस्जिद है, जो शीशमहल से सटी है और इसका इस्तेमाल शाहजहां करते थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने किले के सामने जामा मस्जिद की सीढ़ियों के खराब पत्थरों को बदलकर नया लगाया है। उस दौरान पत्थरों को हटाने पर एएसआई के रिकॉर्ड में नीचे ऐसी कोई चीज प्राप्त नहीं हुई थी। तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार के कार्यकाल में तीन साल पहले सीढ़ियों का संरक्षण किया गया है। एएसआई के रिटायर्ड वरिष्ठ संरक्षण सहायक डा. आरके दीक्षित के मुताबिक ब्रिटिश शासन में लगभग सभी स्मारकों में संरक्षण कार्य बड़े पैमाने पर किए गए हैं। टकसाल समेत कई जगह ब्रिटिश काल में खोदाई की गई थी। जामा मस्जिद समेत कई हिस्सों में संरक्षण कार्य कराये गए थे।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में यह दावा पेश किया, जिसमें कहा गया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने ठाकुर केशवदेव के विग्रह को मथुरा के मूल मंदिर से उठाकर आगरा किले की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन कर दिया था। यह विग्रह अब भी सीढ़ियों के नीचे दफन है। इसे निकलवाया जाए। इसके समर्थन में उन्होंने साखी मुस्तैक खान की अरबी में लिखित पुस्तक का वर्जन, यदुनाथ सरकार की पुस्तक मासिरे आलम गिरी औरंगजेबनामा देवीप्रसाद, टेंपल डेस्ट्रोय बाय द औरंगजेब बीएस भटनागर तथा मुगलकालीन पेंटिंग को साक्ष्य के रूप में पेश की है।
साभार, अमर उजाला