राजनीति

बनारस प्रशासन ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर प्रदर्शन करने वालों के सामने दण्डवत क्यों है- शाहनवाज़ आलम

पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बचाने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस जल्द चलायेगी जन जागरूकता अभियान

लखनऊ, । अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि भाजपा और संघ अपने राजनीतिक एजेंडे से जुड़े संतों के माध्यम से पूजा स्थल क़ानून 1991 को बदलने का माहौल बनवा रही है। इसी रणनीति के तहत मीडिया में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर हुई कथित वीडियोग्राफी के फुटेज को अदालत से हलफनामा देकर तो लिया गया लेकिन मीडिया में लीक करवा दिया गया और अब मस्जिद में पूजा करने के लिए सड़क पर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से न तो कोर्ट इन चैनलों पर अपनी मानहानि का स्वतः संज्ञान ले रही है ना ही पूजा स्थल क़ानून का उल्लंघन करने की कोशिश करने वाले कथित संतों के खिलाफ़ विधिक कार्यवाई कर रही है। जबकि क़ानून ऐसा करने वालों के खिलाफ़ 1 से 3 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है। उक्त बातें उन्होंने स्पीक अप कार्यक्रम की 49 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बनारस प्रशासन क़ानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों के सामने पूरी तरह दण्डवत है। इसीलिए ज्ञानवापी मस्जिद के सामने 1 अप्रैल को मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित उत्पाती संगठन हिंदू युवा वाहिनी द्वारा प्रदर्शन में शामिल अपराधियों के खिलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं की जिसके चलते अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो पूजा स्थल क़ानून 1991 को बदलने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बनारस के संघ और भाजपा नेता खुलेआम मीडिया में बयान दे रहे हैं कि अदालत उनके पक्ष में फैसला देगी क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन बावजूद इसके न्यायपालिका अपनी निष्पक्ष छवि को बचाने के लिए इनके विरुद्ध स्वतः संज्ञान नहीं ले रही है। इससे न्यायपालिका की मंशा पर संदेह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कांग्रेस जल्दी ही पूजा स्थल क़ानून 1991 का उल्लंघन करने के खिलाफ़ जनजागरूकता अभियान चलायेगी।

कानपुर हिंसा पर पुलिस द्वारा एक तरफा कार्यवाई का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया के एक हिस्से से इसे सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन से जोड़कर मुसलमानों के विरोध करने के अधिकार का अपराधिकरण किया जा रहा है।

संवाद। अज़हर उमरी