- पांच माह से जनपद में टीबी के प्रति जागरूकता लाने में जुटे 16 टीबी चैंपियन
- स्थानीय एक निजी होटल में आयोजित हुई समीक्षा बैठक
आगरा। (डीवीएनए) टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में टीबी को मात दे चुके लोग भी जुटे हैं। मरीजों और उनके परिवार को टीबी के बारे में जागरूक करने के साथ काउंसलिंग भीकरते हैं। बीते पांच महीने में जनपद में 16 टीबी चैंपियन 1100 टीबी मरीजों की काउंसलिंग कर चुके हैं। इसी क्रम में स्थानीय एक निजी होटल में वर्ल्ड विजन संस्था ने समीक्षा बैठक आयोजित की । इसमें आगरा और बरेली के 29 टीबी चैंपियन ने भाग लिया ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संत कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए टीबी चैम्पियन अपने अनुभव से टीबी मरीजों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इसकेसाथ ही उन्हें बता रहे हैं कि टीबी को मात देना उतना मुश्किल भी नहीं है, बस नियम सेदवाएं लेते रहने की जरूरत है।
वर्ल्ड विजन संस्था के जिला सामुदायिक समन्वयक युनूस खान ने बताया कि मार्च में यह कार्यक्रम शुरु किया था। इसके तहत 1100 टीबी मरीजों की काउंसलिंग की है। उन्होंने बताया कि टीबी चैंपियन क्षय रोगियों को उपचार, साक्षरता और पीयर काउंसलिंग करते हैं। आगे भी टीबी मरीजों को पोस्टर और बैनर के जरिए जागरुक किया जाएगा।
जिला पीपीएम समन्वयक कमल सिंह ने बताया कि टीबी चैंपियन समाज में क्षय रोग के संबंध में जनमानस को जागरूक करने में बहुत उपयोगी साबित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों से भेदभाव न करें और समाज के संभ्रांत लोग टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आएं और उन्हें गोद लें।
वर्ल्ड विजन संस्था से बरेली के जिला सामुदायिक समन्वयक कमरुज्जमा ने बताया टीबी चैंपियन की समीक्षा बैठक में चैंपियंस का टेस्ट पेपर भी भरवाया गया l प्रतिभागी टीबी चैंपियंस ने रोल प्ले के माध्यम से समझाया कि वह समुदाय स्तर पर टीबी रोगियों की किस तरह से काउंसलिंग कर रहे हैं l कम्युनिटी मीटिंग में भी लोगों को टीबी की बीमारी के बारे में जागरूक किया जाएगा l
टीबी यूनिट(टीयू) अछनेरा में काम करने वाले टीबी चैंपियन बृजमोहन ने बताया कि वहएक निजी कंपनी में काम भी करते हैं। इसके साथ ही अलग से समय निकालकर टीबी रोगियों की काउंसलिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि जब मुझे पता चला था कि टीबी है तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे, अंदर से टूट गया था। उस समय मेरे परिवार के सदस्यों ने संभाला और सही समय पर दवा खाने से स्वस्थ हो गया। अपने अनुभव के आधार पर दूसरे टीबी मरीजों के मन की स्थिति को समझता हूं और उनकी और उनके परिवार की काउंसलिंग करता हूं, जिससे कि समाज से टीबी का खात्मा हो सके। वह बताते हैं कि यह कार्य करके उन्हें काफी सम्मान और संतुष्टि मिलती है।
वेस्ट आगरा टीयू क्षेत्र में काम करने वाली पूनम बताती हैं कि टीबी रोगियों के प्रति समाज में भेदभाव होता है, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। वह बताती हैं कि अब तक 80 से ज्यादा टीबी रोगियों की काउंसलिंग कर चुकी हैं। जब हम टीबी मरीजों के पास जाते हैं तो उन्हें एक हमदर्द मिल जाता है।
बरेली में बिथी चैनपुर टीयू में काम करने वाली नेहा यादव ने बताया कि वह अब तक 86 टीबी रोगियों की काउंसलिंग कर चुकी हैं। वह टीबी रोगियों को बताती हैं कि टीबी लाइलाज नहीं है, इसका उपचार संभव है। उन्होंने खुद टीबी को मात दी है, सही नियमों का पालन करने और समय पर दवा लेने से वह भी टीबी को मात दे सकते हैं। बैठक में बरेली से जिला सामुदायिक समन्वयक कमरुज्जमा,सीफार संस्था से डिविजनल कोऑर्डिनेटर राना बी सहित टीबी चैंपियन मौजूद रहे ।
संवाद:- दानिश उमरी