अन्य

टीबी मुक्त भारत में टीपीटी निभाएगा अहम भूमिका

  • टीबी मरीजों के संपर्क में आने वालों को दी जाएगी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी

आगरा। टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए विभाग की ओर से विभिन्न पहलुओं पर प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में अब टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों को भी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि इसके लिए टीपीटी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें मरीज के परिवारजनों को भी यह दवा दी जाएगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संत कुमार ने बताया कि टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होता है। इसके दो प्रकार हैं। पहला, पल्मोनरी टीबी, दूसरा एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी। पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं। इसकी फैलने की आशंका रहती है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी में फेफड़ों के बजाय शरीर के अन्य अंगों पर असर होता है। यह नहीं फैलती है। पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोगों को टीपीटी दी जाएगी। इसके तहत क्षय रोगी के परिवार के लोगों को छह महीने तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं मौजूद परिवार के सदस्यों के आयु के हिसाब से दी जाती है।

जिला पीपीएम समन्वयक कमल सिंह बताते हैं कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यफक्तियों को टीबी फैलाता है। इसलिए टीबी मरीजों के परिवार के लोगों के उपर विशेष ध्याफन देने की आवश्यककता होती है । कमल सिंह बताया इस कार्यक्रम की पूरी देखरेख डीटीसी के कमल सिंह, श्री शशीकांत पोरवाल, पंकज सिंह, अरविन्द कुमार यादव के नेतृत्व में जीत 2 के स्टॉफ द्वारा नियमित रूप से की जा रही है।

जिला पीपीएम समन्वयक अरविंद कुमार यादव ने बताया कि इससे पहले पांच वर्ष से कम आयु तक के सक्रिय टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों को यह थेरेपी दी जाती थी लेकिन अब टीबी मरीज के प्रत्येक संपर्क वाले व्यक्ति को स्क्रीनिंग उपरांत टीपीटी दी जाएगी।

संवाद:- दानिश उमरी