नई दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू अध्ययन केंद्र (CJNS) जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 20 जून, 2022 को ‘नेहरू की पत्रकारिता : एक समकालीन विश्लेषण’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के डॉ. रामशंकर ने उपरोक्त विषय पर व्याख्यान दिया।
प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा, निदेशक, जवाहरलाल नेहरू अध्ययन केंद्र ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की और उच्च अधिकारियों को उनके समर्थन के लिए आभार ज्ञापित किया। प्रो. वीरेंद्रा ने प्रतिभागियों को केंद्र के विषय में जानकारी दी एवं स्पीकर का परिचय कराया।
डॉ. रामशंकर ने अपने व्याख्यान की शुरुआत बड़े ही रोचक तरीके से की। पंडित नेहरू की पत्रकारिता के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए डॉ. रामशंकर ने कहा कि नेहरू समाजोन्मुखी पत्रकारिता के पक्षधर रहे। बड़े अखबारों से कहीं ज्यादा उन्हें छोटे अखबारों की चिंता रहती थी।
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में औपनिवेशिक भारत में पत्रकारिता के हाल का जो बयान किया है उस पर नज़र डालना दिलचस्प हो सकता है और उसी में लिखा है कि ‘किसी अखबार का कोई पाठक शायद ही उन दिनों ख़्याल रखता होगा कि हिंदुस्तान में करोड़ों किसान और लाखों मजदूर हैं या उनका कोई महत्व है। अंग्रेज़ों के अखबार बड़े अफ़सरों के कारनामों से भरे रहते थे। उनमें शहरों और पहाड़ों पर रहने वाले अंग्रेज़ों के सामाजिक जीवन की यानी उनकी पार्टियों की, नाच-गानों और नाटकों की खबरें छपा करतीं थीं। उनमें हिंदुस्तान की राजनीति की चर्चा प्रायः बिलकुल नहीं की जाती थी, यहां तक कि कांग्रेस के अधिवेशन के समाचार भी किसी ऐसे-वैसे पन्ने के एक कोने और सो भी कुछ सतरों में दिया करते थे। कोई खबर तभी किसी काम की समझी जाती थी, जब कोई हिंदुस्तानी कांग्रेस के विरोध में कुछ कहता था। कभी-कभी हड़ताल या दंगा फसाद को भी खबर में जगह मिल जाती थी।
कई संदर्भों का हवाला देते हुए डॉ. रामशंकर ने बताया कि नेहरू लिखते हैं, ‘कि मैं अखबारों की आज़ादी का बहुत कायल हूँ। मेरे ख़्याल से अखबारों को अपनी राय ज़ाहिर करने और नीति की आलोचना करने की पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए। नेहरू के अनुसार, ‘प्रेस की आज़ादी इसमें नहीं है कि जो चीज़ हम चाहें, वही छप जाए। प्रेस की आज़ादी इसमें है कि हम उन चीज़ों को भी छपने दें, जिन्हें हम पसंद नहीं करते।
कार्यक्रम का समापन निदेशक के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ l उन्होने वेबिनार को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया ।
संवाद , सादिक़ जलाल