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ज़िले में पुरुष नसबंदी कराने को लेकर बढ़ रही जागरुकता

दो बेटियों के बाद दिखाई समझदारी परिवार नियोजन में कि पुरुष भागीदारी


-महिलाएं ही क्यों झेलें परेशानी, पुरुष नसबंदी से नहीं आती कमजोरी- कमलेश

मैनपुरी। (डीवीएनए)परिवार नियोजन केवल बच्चों में अंतराल रखने के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए भी जरूरी है। इसमें महिलाएं और पुरुष दोनों बराबरी की भागीदारी निभा सकते हैं। लेकिन समाज में हमेशा से महिलाओं को ही परिवार नियोजन के बारे में सोचना पड़ता है और वे परिवार पूरा होने के बाद नसबंदी कराती हैं, जबकि पुरुषों के लिए भी नसबंदी की सुविधा उपलब्ध है। कमजोरी या नपुंसकता के डर से पुरुष अपनी नसबंदी कराने में पीछे हटते हैं। लेकिन जनपद के कमलेश और राकेश (बदला हुआ नाम) जैसे लोगों ने अपनी नसबंदी कराकर इस मिथक को तोड़ दिया है।


ब्लॉक कुरावली निवासी कमलेश 32 साल के हैं। उनकी दो लड़कियां हैं। जब उन्हें लगा कि उनका परिवार पूरा हो गया है तो उन्होंने पत्नी की बजाय अपनी नसबंदी करा ली। उन्होंने कहा कि मेरी दो लड़कियां ही मेरे लिए सबकुछ हैं, मुझे पुत्र का कोई मोह नहीं हैं। अब उन्हीं का लालन-पोषण करना है। इसको देखते हुए उन्होंने दो साल पहले अपने नसबंदी करा ली। वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें इससे न तो कोई परेशानी हुई और न ही पत्नी के साथ संबध बनाने में कोई परेशानी होती है। वे बताते हैं कि अब उनका जीवन खुशहाल है।


जनपद के ब्लॉक कुरावली क्षेत्र के ही निवासी राकेश ( बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्होंने बीती पांच मई को ही अपनी नसबंदी कराई है। उन्होंने कहा कि उनके एक लड़की (13) और एक लड़का (7) है। अब इन दोनों की ही अच्छी तरह परवरिश करनी है। उन्होंने कहा कि गर्भ ठहरने का डर रहता था। इसके समाधान के लिए वे कोई स्थाई साधन ढूढ़ रहे थे। क्षेत्र की आशा ने उन्हें नसबंदी के बारे में बताया तो उन्होंने अपने नसबंदी करा ली। उन्होंने कहा कि हमेशा महिला ही क्यों दर्द झेलें, जब हम बिना किसी परेशानी के नसबंदी करा सकते हैं तो अपनी पत्नी को परेशान क्यों करें। वे बताते हैं कि उनका आधे घंटे में ऑपरेशन हो गया। अब उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही है। वे पहले की ही तरह काम कर पा रहे हैं और साथ में पत्नी के साथ बिना टेंशन अच्छे पल भी बिता पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनको देखकर उनके कुछ मित्र भी अब अपनी नसबंदी कराने का विचार कर रहे हैं।

चंद मिनट में हो जाती है नसबंदी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है । यह 99.5 फीसदी सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है । उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। डॉ. सिंह का कहना है कि कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है ।


ये हैं योग्यता
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव राय बहादुर बताते हैं कि पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को दो हजार रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं । पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं। पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 300 रुपये देने का प्रावधान है ।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक संजीव वर्मा ने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 6 पुरुषों ने नसबंदी करवाई और 2019-20 में 11 पुरुषों ने नसबंदी करवाई । 2020-21 में 07 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में 11 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है । कंडोम का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ा है । वर्ष 2018-19 में 9,99,144 कंडोम , वर्ष 2019-20 में 7,27,349 , वर्ष 2020-21 में 11,04,001 कंडोम सरकारी क्षेत्र से इस्तेमाल हुए । वित्तीय वर्ष 2021-22 में 8,98,701 कंडोम का इस्तेमाल हुआ है।


यह भी प्रावधान
डीपीएम बताते हैं कि नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है । नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है ।