अल्लाह के वली के दरबार में रूह को चैन और दिल को सुकून मिलता है- विजय कुमार जैन ।
एतमादुद्दौला स्थित दरगाह हज़रत सैय्यदना अब्दुल्लाह एहरारी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स शरीफ अपने बुजुर्गों की समस्त रस्मो रिवाज मजार शरीफ के गुसल, संदल , इत्र पाशी, चादरपोशी, गुलपोशी करके फातिहा ख्वानी और शब्बेदारी के साथ शुरू हुआ । इन सभी रस्मो को दरगाह के सज्जादानशीन बाबा सलीम शाह नक्शबंदी ने तमाम जायरीन और हाजरीन के बीच अदा किया । कुल शरीफ की फातिहा ख्वानी में मुल्क के अमन चैन की और हाजरीन, जायरीन की फलाह और बेहबूदी की दुआ करते हुए बाबा सलीम शाह ने कहा कि बुजुर्गों के उर्स शरीफ में दिल से दुआ मांगने वालों की हर जायज मुराद को पूरा किया जाता है। ये बुजुर्ग सरकार सैयदना अमीर अबुलउलाह के पीर ओ मुर्शिद हैं । उर्स शरीफ के मौके पर विजय कुमार जैन ने दरबार में हाजरी देकर कहा की अल्लाह के वली की बारगाह में रूह को सुकून और दिल को चैन मिलता है । उर्स शरीफ में हर धर्म और मजाहिब के लोग हाजिर होकर अपनी मुरादों से अपने दामन को भरते हैं , और गंगा यमुनी तहजीब की जिंदा मिसाल इन बुजुर्गों के दरबारों में देखने को मिलती है । ये ही एकता और मुहब्बत का पैगाम इन बुजुर्गों की बारगाह से मिलता है । चादरपोशी का सिलसिला बराबर जायरीनों की तरफ से जारी रहा ।कुल शरीफ में गुलाब जल एक दूसरे पर डाल कर कुल का छींटा हुआ । लंगर तकसीम किया गया ।
उर्स शरीफ में सज्जादानशीन बाबा सलीम शाह नक्शबंदी , पीरजादा विजय कुमार जैन, खलीफा जमील अहमद साबरी, खलीफा रमज़ान खान साबरी, खलीफा सईद साबरी, खलीफा कल्लू भाई साबरी , हाशिम साबरी, कासिम साबरी, उमेश चंदेल साबरी, राकेश चंदेल साबरी, खलीफा परवेज साबरी मुजफफरी, इरफान साबरी, अब्दुल जब्बार साबरी मुजफ्फरी, अनिल दीक्षित, जगदीश शर्मा, नवीन कुमार जैन आदि मौजूद रहे ।
संवाद। फैज़ान उद्दीन नियाज़ी