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उदयपुर में हुई हत्या का कासगंज के उलेमाओं ,समाज सेवीयों ने जमकर किया विरोध

किसी ने कहा सख्त से सख्त सजा दी जाए,तो किसी ने कहा फांसी दी जानी चाहिए

कासगंज।राजस्थान के उदयपुर में पैगंबर के नाम हुई हत्या की जनपद भर के उलेमाओं समाज सेवीयों ने जमकर खिलाफत की देश के संविधान और हमारे धर्म के खिलाफ है किसी को भी कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है देश में सांप्रदायिक सद्भावना को बनाए रखने की जरूरत है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद शाखा कासगंज के महासचिव मौलाना असरारुल्लाह फलाही ने उदयपुर घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है मौलाना ने कहा है कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया और कानून को अपने हाथ में लिया उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता, यह हमारे देश के कानून के साथ साथ हमारे धर्म के भी खिलाफ है।
मौलाना कलीमउद्दीन कासमी ने कहा यह बहुत गलत हुआ है इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है हम इसकी सख्त मजम्मत करते हैं इस्लाम में तमाम मखलूक अल्लाह का कुनबा है खानदान है किसी को मारना कत्ल करना बिल्कुल जायज नहीं है।
जमीयत उलमा कासगंज जिला अध्यक्ष कारी मोहम्मद राशिद हुसैन ने कहा कन्हैया के कत्ल वाकई इंतहा अफसोस नाक है इस घटना को दिल को हिला दिया है मुल्क के कानून के खिलाफ है हम जनपद वासियों से अपील करते हैं कि वह अपने जज्बातों को काबू में रखें मुल्क में अमन चैन कायम रखें।
कासगंज के समाजसेवी डॉक्टर मुहम्मद फ़ारूक़ ने कहा उदयपुर की घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है एक आमी आदमी के लिए किसी भी निहत्थे, को ज़ालिमाना तौर पर कत्ल कर देना इस्लामी तलीमात के मुताबिक बहुत बड़ा जुर्म है, इस्लाम इंसाफ की तालीम देता है जुल्म की नहीं,देश में इस तरह की बदअमनी फ़ैलाने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए ऐसे अपराधी समाज और देश में रहने लायक नहीं हैं।
हफीज गांधी ने कहा उदयपुर में हुई हत्या की मैं घोर निंदा करता हूँ। एक निर्दोष व्यक्ति को मारना कहाँ का इंसाफ है। जो कुछ आज उदयपुर में हुआ उसकी सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। मैं राजस्थान सरकार से मांग करता हूँ कि फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में इन दोषियों का केस चले और जल्द से जल्द इन्हें सज़ा मिले।
कौमी एकता एवम् सद्भावना समिति के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ इस्लाम अहमद फारूकी ने कहा कि उदयपुर में वीडियो देख भड़क उठे दो सर फिरों ने एक टेलर कन्हिया कुमार की निर्मम हत्या कर दी जो कि धर्म के नाम पर एक घिनौना अधर्मी काम हे जिसकी इजाज़त न तो कोई धर्म देता है और न ही हमारा संविधान।
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब ने अपने धर्म युद्ध जंगे बदर की जीत पर गैर मुस्लिम युद्ध बंदियों की मश्कें (हाथ पैरों के बंधन) खुलवा कर उन्हें आम माफी देकर आजाद कर दिया था यह था इस्लाम का दर्शन ।
हाजी जहूर हसन ने कहा दहशतगर्द इस्लाम वा इंसानियत के दुश्मन हैं,इनके कर्मों से मानवता कराह रही है यह घृणित कार्य देश वा समाज को बदनाम कर रहा है।ऐसे लोगों को फांसी होनी चाहिए।

संवाद। नूरुल इस्लाम