नई दिल्ली,: कैंसर विश्व स्तर पर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण बड़ी संख्या में मृत्यु होती है। इसलिए कैंसर पर अनुसंधान और शोध में प्रगति लाने की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार कैंसर के उपचार के लिए संभावित यूनानी चिकित्सा हस्तक्षेपों पर अनुसंधान को प्राथमिकता दे रही है।
प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, के.यू.चि.अ.प. ने बताया कि वर्तमान में के.यू.चि.अ.प. जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली और इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स, पुणे, महाराष्ट्र के सहयोग से ‘अफ्तीमून (कस्कुटा रिफ्लेक्सा रोक्सब.) पौध और उसके बीज का विभिन्न मानव कैंसर सेल लाइनों पर मूल्यांकन’, ‘क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया में यूनानी औषधीय मिश्रण इत्रिफ़ल-ए-अफ्तीमून की क्रिया विधि और कैंसर रोधी क्षमता का आंकलन’ और ‘यूनानी औषधि इत्रिफ़ल-ए-गूददी की कैंसर-रोधी और इम्यूनो मॉड्यूलेटरी गतिविधि का मूल्यांकन और फाइटोकेमिकल मानकीकरण’ पर अध्ययन कर रहा है।
के.यू.चि.अ.प. ने हाल ही में एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा, उत्तर प्रदेश के सहयोग से ‘मानव यकृत कैंसर कोशिकाओं के विरुध यूनानी भेषजकोशीय मिश्रण दवाउल कुरकुम की कैंसर रोधी क्षमता का मूल्यांकन’ पर अध्ययन पूरा किया है।