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डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ने मनाया स्थापना दिवस

आगरा। (डीवीएनए) डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 96वें स्थापना दिवस का कार्यक्रम आज जेपी सभागार में आयोजित किया गया ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधि एवं न्याय राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल जी थे और अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक जी ने की कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और विश्वविद्यालय के कुल गीत के गायन के साथ हुआ स्वागत भाषण प्रोफेसर संजीव कुमार ने प्रस्तुत किया ।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रोफेसर सुगम आनंद जी ने विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि हमें यह देखना होगा कि अब हम विश्वविद्यालय को किस प्रकार आगे ले जा सकते हैं । इसके पश्चात प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर , प्रोफेसर संजय चौधरी , डॉ अंकुर गुप्ता , कर्मचारी संघ के महामंत्री अरविंद गुप्ता , श्रीमती निर्मला दीक्षित छात्रा तूलिका एवं मोहिनी दयाल ने अपने विचार प्रकट किए ।इसके पश्चात एक वृत्त चित्र के माध्यम से विश्वविद्यालय के इतिहास और उसकी उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण किया गया। विश्वविद्यालय से स्थानांतरित होने वाले कुलसचिव , परीक्षा नियंत्रक , वित्त अधिकारी और सहायक कुलसचिव का कुलपति जी और मुख्य अतिथि द्वारा शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया ।

मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल जी ने कहा कि मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उस विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया है जिससे संबद्ध एक महाविद्यालय में मैंने अध्ययन और अध्यापन किया है । अनेक बड़े और प्रतिष्ठित महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रहे और अनेक महान विभूतियों ने यहाँ से शिक्षा ग्रहण की । आगे आपने कहा कि कोई भी देश आगे तभी बढ़ेगा जब उसकी शिक्षा का स्तर श्रेष्ठ होगा ।
किसी भी देश को इस बात से भी जाना जाता है उसके शिक्षकों की योग्यता क्या है , उनका शिक्षण कैसा है।


चार जिलों तक विश्वविद्यालय के सीमित हो जाने के विषय में अपने विचार प्रकट करते हुए आपने कहा कि इससे कोई समस्या नहीं है। यदि हमारा कार्य क्षेत्र सीमित रहेगा तो हम अच्छी प्रकार से व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर पाएंगे । आज हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेंगे तो हमारा देश निश्चित रूप से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा । अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति जी ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए उसके स्थापना दिवस का आयोजन एक बहुत भावुक क्षण होता है । आपने कहा कि हम अपने विश्वविद्यालय के अस्तित्व को तभी बचा सकेंगे जब हम आज के विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुरूप उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देंगे ।

आज का विद्यार्थी ज्ञान , विज्ञान , तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में जानना चाहता है ।हम कहते हैं कि हम विश्व गुरु हुआ करते थे , ज्ञान और विज्ञान में हमारा कोई सानी नहीं था , किंतु आज हमें यह देखना होगा कि हम आज कहां खड़े हैं। ?
स्थापना दिवस का आयोजन हमारे लिए प्रसन्नता का विषय भी है और अपने अस्तित्व को बचाने की कड़ी चुनौती भी हमारे सामने है ।

अंत में कुलपति जी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी की एक कविता का उल्लेख करते हुए कहा कि निराशा का कोई विषय नहीं है। हमें सदैव आशावान रहना चाहिए क्योंकि रात कितनी भी गहरी हो उसके बाद सूर्य का प्रकाश आता ही है , जिस प्रकार से सुख और दुख जीवन के अनिवार्य अंग है ठीक उसी प्रकार निराशा और आशा भी साथ साथ चलते हैं

‘गीत नहीं गाता हूं ,
लगी कुछ ऐसी नजर बिखरा शीशे सा शहर ।


गीत नया गाता हूं
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं

गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी

हार नहीं मानूंगा
रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता मिटाता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं ।

उपस्थिति इस प्रकार रही
प्रोफेसर उमेश शर्मा प्रोफेसर मीनाक्षी श्रीवास्तव प्रोफेसर विनीता सिंह प्रोफेसर लवकुश मिश्रा प्रोफेसर बृजेश रावत प्रोफेसर देवेंद्र कुमार प्रोफेसर अनिल गुप्ता सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे ।

संवाद:- दानिश उमरी