धर्म के आधार पर विश्वविद्यालयों का विभाजन खतरनाक
डिग्री असली नहीं होने के कारण मोदी जी विश्वविद्यालयों का महत्व नहीं समझते
लखनऊ। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने मोदी सरकार पर मुस्लिम नाम वाले विश्वविद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाद अब जामिया का भी बजट घटाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि लोगों को साप्रदायिक आधार पर बाँटने वाली सरकार अब शिक्षण संस्थानों को भी साप्रदायिक आधार पर बांटने का काम कर रही है। देश को बांटने का यही गुजरात मॉडल है।
शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि केरल से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य टीएन प्रथापन द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ख़ुद केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभास सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि 2020-21 के मुकाबले 2021-22 के मौजूदा वित्त वर्ष में जामिया का बजट 68.73 करोड़ घटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल यह बजट 479.83 करोड़ था लेकिन इस साल इसे 14 प्रतिशत घटा कर 411.10 करोड़ कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बजट भी 62 करोड़ से घटा कर 9 करोड़ कर दिया गया था जिसके खिलाफ़ 16 जुलाई को अल्पसंख्यक कांग्रेस ने हर ज़िले से केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेज कर इसे बढ़ाने की मांग की थी।
शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि 2022 के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में तीसरे स्थान पर आने के बावजूद जामिया का बजट इसलिए घटा दिया कि वहाँ के छात्रों ने संविधान विरोधी सीएए-एनआरसी का विरोध किया था। वहीं इसी वजह से एएमयू का बजट भी घटाया गया। जबकि बीएचयू का बजट पिछले 5 साल में 669.51 करोड़ से बढ़ाकर 1303 करोड़ कर दिया गया। जबकि एनआईआरएफ में उसकी रैंकिंग छठे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी की डिग्री असली होती तो वो विश्वविद्यालयों में फर्क नहीं करते क्योंकि देश के निर्माण में एएमयू, जामिया और बीएचयू समेत सभी विश्वविद्यालयों की भूमिका है और देश इन पर गर्व करता है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा की धर्म के आधार पर भेदभाव का यही गुजरात मॉडल है जो मोदी जी देश को तोड़ने के लिए लागू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों के दौरान भी मोदी जी का यही चेहरा दिखा था जब उन्होंने गोधरा कांड में मारे गए लोगों को 2 लाख और उसके बाद के दंगों में मारे गए लोगों को एक लाख के मुआवजे की घोषणा की थी। जिसपर तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी ने भी मोदी की आलोचना की थी। उसी तरह 2011 में क्रिकेट विश्वकप जीतने वाली टीम के गुजराती मुस्लिम सदस्यों मुनाफ पटेल और यूसुफ पठान को उनकी सरकार ने संयुक्त रूप से सिर्फ़ एक लाख रूपये बतौर इनाम दिया था। जबकि दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार समेत सभी राज्यों ने अपने खिलाड़ियों को एक-एक करोड़ रूपये दिये थे।
संवाद। अज़हर उमरी