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हज़रत मौलाना शाह अब्दुल कादिर रायपुरी के खलीफा हज़रत मौलाना सैयद मुकर्रम का इंतकाल


नमाज़-ए-मगरीब के बाद नम आंखों से सुपुर्द-ए-ख़ाक में उमड़े हज़ारों लोग
 
 सहारनपुर।बेहट हज़रत मौलाना शाह अब्दुल कादिर रायपुरी के खलीफा हजरत मौलाना सैय्यद मुकर्रम हुसैन साहब संसारपुरी का शुक्रवार दोपहर इंतकाल हो गया। वे लगभग 90 वर्ष के थे। उनके इंतकाल की खबर लगते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई तथा उनके गांव में भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई. मालूम हो कि हजरत मौलाना शाह अब्दुल कादिर रायपुरी के आखिरी खलीफा थे। उन्हें नमाज़-ए-मगरीब के बाद नम आंखों के साथ सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया। इस दौरान हजारों की तादाद में लोग मौजूद रहे। हज़रत मौलाना सैयद मुकर्रम हुसैन साहब संसारपुरी का शुक्रवार की दोपहर करीब 1:00 बजे उनके घर पर ही इंतकाल हो गया। वह काफी दिन से बीमार चल रहे थे। वे अपने पीछे चार लड़के और दो लड़कियां छोड़ गए हैं। हजरत मौलाना मुकर्रम भारत के मशहूर आलिम और बुजुर्ग थे। उनके चाहने वाले भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है।
हजरत मौलाना सैयद मुकर्रम हुसैन साहब संसारपुरी की विलादत 1934 में ग्राम संसारपुर में हुई थी। शुरुआती तालीम अपने वालिद हज़रत मौलाना इस्हाक़ मरहूम से ली। उन्होंने संसारपुर जय मदरसा फैजाने रहमानी में मिशकात तक पढ़ाई की उसके बाद वह मदरसा मजहिर उलूम सहारनपुर में पढ़ने लगे। उन्होंने वहीं से मौलवी का कोर्स मुकम्मल किया। हज़रत शाह अब्दुल कादिर रायपुरी से मुरीद हुए और उनके नक्शे कदम पर चलते हुए आवाम की खिदमत की। हज़रत शाह अब्दुर कादिर साहब ने उन्हें अपना आखिरी खलीफा मुकर्रर किया। क्षेत्र में जैसे ही लोगों को हजरत सैयद मुकर्रम हुसैन के इंतकाल की इत्तला मिली लोग गांव में जमा होने लगे। जनाज़े में भारी भीड़ के मद्देनज़र पुलिस बल भी तैनात रहा।  नमाज़-ए-मगरीब के बाद नम आंखों से सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। उनकी अन्तिम यात्रा में कई ज़िलो के दीनी सामाजिक, राजनीतिक, बुद्धिजीवी,पत्रकार आदि लोगो की हज़ारों की संख्या में भीड़ मौजूद रही।