- डीटीओ डॉ. सीएल यादव ने संभाला कार्यभार, बच्चों को टीबी से बचाने के प्रति जागरुकता बढ़ाने पर दिया जोर
- लगातार सर्दी खांसी और बुखार बने रहने से टीबी होने का खतरा
आगरा, ज़्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को मौसम का बदलाव या रात में पंखा चलाने को वजह मानते हैं, जबकि हकीकत में यह दिक्कत एलर्जी के कारण अक्सर होती है | यह टीबी का भी संकेत हो सकती है | यह बात मंगलवार को आगरा के नये जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने कार्यभार सँभालने के बाद कही। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को टीबी के संक्रमण से बचाव के लिए विशेष ध्यान देना होगा।
बीते 19 साल से टीबी कार्यक्रम की जिम्मेदारी निभा रहे डॉ. सीएल यादव जनपद एटा, मैनपुरी और कासगंज में डीटीओ रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में टीबी का संक्रमण मिल रहा है, जनवरी 2022 से अब तक 0 से 14 साल के 919 बच्चे टीबी से ग्रसित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले से जागरुकता बच्चों को टीबी जैसे रोग से बचा सकती है। डॉ. यादव ने कहा कि बदलते मौसम में बच्चों को एलर्जी या सर्दी खांसी हो जाती है। बारिश के दिनों में इम्युनिटी कमजोर होने के चलते बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी खांसी की समस्या बन जाती हैं। माता पिता इसे मौसम का बदलाव मानकर रात के ठंडे वातावरण को वजह मानते हैं, जबकि वास्तव में मौसम में आए बदलाव के कारण होता है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में ही इसे पहचान लिया जाए तो गंभीर समस्या होने से इसे रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा लंबे समय तक टीबी के लक्षण दिखने पर बच्चे की टीबी की जांच कराएं।
साफ़-सफाई का रखें ध्यान
इस मौसम में बैक्टीरिया काफी सक्रिय हो जाते हैं, जिसकी वजह से बच्चे जल्दी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, जो कभी भी टीबी का रूप ले सकती है।इसलिए उनकी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। धूल भरा वातावरण, भीड़ वाले इलाके, औद्योगिक क्षेत्र, धुंए की तरह अन्य प्रदूषण भी खांसी की बड़ी वजह हैं, इसलिए बिना किसी जरूरत के बच्चों को अनावाश्यक बाहर न निकलने दें। खांसते और छींकते समय उनके मुंह पर कपड़ा रखें।
खान पान पर रखें नजर
बच्चों को पौष्टिक आहार, मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। विटामिन सी वाले फल, जैसे संतरा, नींबू का सेवन अधिक मात्रा में कराएं और साथ में मौसमी सब्जियों का सूप अवश्य पिलाएं। यह सभी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
घरेलू उपाय भी कारगर
डीटीओ ने बताया कि हल्दी में एंटी बैक्टीरियलगुण अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। बच्चों को सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चुटकी भर हल्दी मिलाकर पिला सकते हैं। शहद के एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण इन्फेक्शन को दूर कर गले को आराम दिलाते हैं। एक चम्मच शहद में चुटकी भर हल्दी मिलाकर खिला सकते हैं। ध्यान रखें, एक साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही हल्दी के साथ शहद मिलाकर दें।
इनसे बचाएं
-बच्चों को बाहर के गोलगप्पे, चाट, कोई भी खुली हुई चीज, गन्ने का रस आदि नहीं खाने पीने दें।
-बाजार का बर्फ इस्तेमाल न करें।
-धूल मिट्टी वाले रास्तों से गुजरते वक्त मास्क का इस्तेमाल अवश्य कराएं।
-गुनगुने शहद के साथ अदरक लहसुन का रस, तुलसी की चाय अधिक फायदेमंद होती है।
-अस्थमा से पीड़ित बच्चों को धूल मिट्टी से हमेशा बचाकर रखें।
-बच्चों को घरों में डस्टिंग करते, झाड़ू लगाते समय दूर कर दें।
-साधारण खांसी में कोई भी कफ सीरप इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए पहले किसी बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर ले लें।
बच्चों में टीबी के लक्षण
-बार-बार बुखार आना
-लंबे समय तक खांसी होना
-वजन न बढ़ना या वजन घटना
-सुस्त रहना
-भूख न लगना
-खांसी में बलगम आना
संवाद। दानिश उमरी