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मनुष्य को अपनी शक्ति का अहसास नहीं: जैन मुनि मणिभद्र

आत्मा को परमात्मा बनाएं
महावीर भवन में बह रही प्रवचन की धारा

आगरा । जैन मुनि डॉ.मणिभद्र ने कहा है कि मनुष्य को अपनी शक्ति का अहसास होना चाहिए, तभी वह इंसान से देवता बन सकता है, लेकिन उसकी उदासीनता ने उसे पशु समान बना रखा है। मुनिवर के प्रवचन राजामंडी स्थित महावीर भवन, जैन स्थानक में नियमित हो रहे हैं। उसी श्रंखला में उन्होंने बुधवार को कहा कि मनुष्य का जन्म लेने के बाद भी व्यक्ति में इंसानियत नहीं है। न वह सामयिक करना चाहता है, न माला जपने के लिए उस पर समय है। वह भौतिक उन्नति तो करना चाहता है, लेकिन आत्मिक प्रगति से वह आज भी कोसों दूर है। उसे पहले अपनी दुकान, अपनी नौकरी की अधिक चिंता है। उन्होंने कहा कि सूर्य की किरणों के उदय होने का आभास व्यक्ति को तभी होगा, जब वह अपनी आंखें खोलेगा। लेकिन नहीं, वह अपने को मनुष्य मान ही नहीं रहा है, जबकि उसमें यह शक्ति है कि उसकी आत्मा, परमात्मा बन सकती है। पर, उसमें इच्छा शक्ति का अभाव है। ब्रह्मचर्य की चर्चा करते हुए जैन मुनि ने कहा कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति में सारी शक्तियां आ जाती है। यह भी एक साधना है, जिसका पालन सभी को करना चाहिए। ब्रह्मचर्य गृहस्थ में रह कर भी हो सकता है। ब्रह्म का अर्थ होता है आत्मा और चर्य का अर्थ रमण करना होता है। यानि आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य होता है। दूसरों को सुख देना भी इसी श्रेणी में आता है। इससे पूर्व जैन मुनि पुनीत ने कहा कि जिसका जीवन सरल और विनम्र होता है, उसी के मन में धर्म का प्रवाह होता है।
लेकिन आज के इंसान में यह सब नहीं, वह झूठ, छल, फरेब करने में लगा हुआ है। इस चातुर्मास पर्व में श्रुति दुग्गर की पांचवे दिन की तपस्या जारी रही।आयंबिल की तपस्या शकुंतला जैन एवम नवकार मंत्र के जाप का लाभ कमला निशा सकलेचा परिवार ने लिया । राजेश सकलेचा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान नरेश बरार , अमित जैन , सुरेश सोनी , अशोक जैन गुल्लू, नीलम जैन ,सुलेखा , सुरेश सुराना , महावीर प्रसाद जैन, बालकिशन जैन सहित अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित थे।