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शाही बड़ा इमामबाड़ा में मेंहदिया चढ़ाए जाने की रस्म की शुरुआत

फिरोजाबाद, । मुहर्रम की सातवीं तारीख पर जनपद के प्राचीन शाही बड़ा इमामबाड़ा पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। शाही बड़ा इमामबाड़ा समस्त जनपद में मुहर्रम कार्यक्रमों का मुख्य केंद्र बिंदु है, जहा मेंहदी चढ़ाए जाने की रस्म अदा की जाती है। शाही बड़ा इमामबाड़ा में मेंहदिया चढ़ाए जाने की रस्म की शुरुआत परम्परागत रूप से शाही बड़ा इमामबाड़ा कमेटी के जनरल सेक्रेटरी व शहर क़ाज़ी सैय्यद शाह नियाज़ अली द्वारा सर्वप्रथम मेंहदी पेश कर मेंहदियां चढ़ाए जाने की रस्म की परम्परागत व विधिवत शुरुआत की जाती है, परंतु ग्वालियर में शहर क़ाज़ी के परिवार में गमी हो जाने के कारण शहर क़ाज़ी को ग्वालियर जाना पड़ा। उनकी जगह शाही बड़ा इमामबाड़ा कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सैय्यद शाहफराज अली, कार्यक्रम संयोजक दिलशाद अली राजू व कमेटी सदस्य जमशेद अली ने संयुक्त रूप से शाम 5:30 पर सर्वप्रथम मेंहदी पेश कर मेंहदियां चढ़ाए जाने की रस्म की परम्परागत व विधिवत शुरुआत की। तदोपरांत ये सिलसिला जारी हुआ जोकि देर रात्रि तक चलता रहा। जहां हजारों की तादाद में अकीदतमंदों का आना जाना चलता रहा। शाही बड़ा इमामबाड़ा परिसर में मुगल कालीन अष्टधातुओं से निर्मित अलमों की जियारत कर अकीदतमंदो ने खुदा से मन्नतें मांगी और तबर्रुक तकसीम किया। शाही बड़ा इमामबाड़ा कमेटी के पदाधिकारियों के नेतृत्व में बे शुमार जायरीन जियारत कर रहे थे। इस दौरान कमेटी के कार्यकर्ता भीड़ को नियंत्रित करने के लिए शाही बड़ा इमामबाड़ा परिसर में तैनात थे। वहीं मेंहदी का जुलूस अपने तय शुदा मार्गों से होता हुआ शाही बड़ा इमामबाड़ा पर जाकर देर रात्रि समाप्त होता है, जोकि समाचार लिखे जाने तक शाही बड़ा इमामबाड़ा नही पोहंच सका था। शाही बड़ा इमामबाड़ा में कार्यक्रम के दौरान दिलशाद अली राजू, अकरम खान, मुहर्रम इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मुहम्मद उमर फारूक, खालिद जमाल सिद्दीकी, अखलाक खान, मेहरोज अख्तर, जमशेद अली, जुनेद अली, शाहरूख अली, फुरकान अली, सोलित अली, अल्काब निज़ाम व सनी खान आदि मोजूद रहे।