मेरा बेटा और मेरे पति लाइव शो देख रहे होंगे वहा पर, शायद वहां डांस कर रहे हों, कही सोफ़ा – वोफा न थोड़ डाले। दरअसल मैं बहुत इमोशनल हूं, मेरे पति और बेटा मेरे साथ नहीं है , यहां होते तो बहुत अच्छा होता।’ ठीक यही शब्द थे आरती लिमजे के जब वह गोल्डन आई शेफ 2019 की विजेता बनी।
“उन्होंने (परिवार के सदस्यों ने) कहा, ‘अगर आप ट्रॉफी नहीं जीतते हैं तो परेशान न हों, आप हमारे लिए पहले से ही विजेता हैं।” – एक अन्य श्रेणी में गोल्डन आई शेफ 2019 की विजेता फोरम लोडाया ने कहा।
आपको लग सकता है कि इसमें कौन सी अनोखी बात है, लगभग हर प्रतियोगिता में विजेता ऐसी ही बाते करते है। उबाऊ भी लगे और कुछ नया पढ़ने या करने की सोचने लगे। लेकिन इससे पहले कि आप इसे आगे पढ़ना छोड़ें, बस एक बार प्रतियोगिता में एक स्वयंसेवक ने क्या कहा जरूर पढ़े – ‘जब वे रसोई में काम कर रहे होते हैं तो कोई नहीं कह सकता की वे ब्लाइंड है।’
जी हाँ! यह अपनी तरह की की अकेली और अनोखी प्रतियोगिता है जिसमें पूर्ण रूप से दृष्टिहीन और आंशिक रूप से दृष्टिहीन अपने पाक कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
संघर्ष और सफलता की कहानियां-
प्रतियोगिता के संस्थापक श्री अखिल श्रीवास्तव को इसकी शुरुआत में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। लोगो को विश्वास ही नहीं होता था कि ब्लाइंड लोग खाना भी बना सकते है। लेकिन, उन्होंने भी हार नहीं मानने का फैसला किया! प्रतियोगिता के इन निपुण प्रतिभागियों की तरह, जिन्होंने दृष्टिबाधित होने के बावजूद, डटे रहना और खाना बनाना सीखा। उनके पास अपने हिस्से का संघर्ष था, लेकिन अपने समर्पण और अभ्यास से उन्होंने खाना पकाने की कला में इस हद तक महारत हासिल कर ली कि हर कोई जो उन्हें खाना बनाते हुए देखता वह हैरान रह जाता। गोल्डन आई शेफ, ग्रैंड फिनाले 2019 के प्रतिष्ठित जूरी के सदस्य सेलिब्रिटी शेफ गौतम महर्षि ने यहां तक कहा कि जब प्रतियोगियों से उनके व्यंजन और खाना पकाने की शैली के बारे में बात की गई तो उन्हें लगा कि वह ‘पेशेवर शेफ के साथ बात कर रहे हैं’।
पिछली प्रतियोगिताएं-
पिछले तीन वर्षों में आयोजित तीन सफल प्रतियोगिताओं के साथ, ‘गोल्डन आई शेफ’ प्रतियोगिता एक धमाके के साथ वापस आ रही है। वर्ष 2019 में प्रतियोगिता को ऑफ़लाइन आयोजित किया गया, लेकिन महामारी के कारण, 2020 और 2021 में प्रतियोगिता के लिए चीजें ऑनलाइन मोड में चली। हर वर्ष प्रतियोगिता में अलग-अलग ट्विस्ट शामिल किए गए। जहाँ 2020 की प्रतियोगिता खाना बचाने की थीम पर आधारित थी वही 2021 में इसको फिटनेस से जोड़ा गया।
नया साल, नया पैटर्न-
हर किसी के लिए प्रेरणा के साथ-साथ दृष्टिबाधित लोगों को सशक्त बनाने वाले मंच को फिर से बनाने के वादे के साथ, वर्ष 2022 के लिए एक प्रतियोगिता की घोषणा जल्दी ही होने वाली है।
इस वर्ष प्रतियोगिता का पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन किया जा रहा है जो अपने आप में एक अदभुत उपलब्धि है। पहले यह केवल एक अखिल भारतीय मामला था लेकिन प्रतिभा एक ऐसी चीज है जो सीमाओं से परे है। तो इस साल दुनिया भर के प्रतिभागी ‘गोल्डन आई शेफ’ पुरस्कार जीतने के लिए संघर्ष करेंगे।
एक और अनूठा समागम? वैश्विक प्रतिभागी और वैश्विक दर्शक! प्रतिभागियों को स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हुए कोई भी देख सकता है, क्यों कि यह प्रतियोगिता इस साल ऑनलाइन आयोजित की जा रही है।
प्रेरक यात्राएं–
खाना पकाने के लिए कई जटिल गतिविधियों की आवश्यकता होती है- तलना, छानना, गर्म वस्तुओं को संभालना, सही स्वाद प्राप्त करने के लिए सही मात्रा में मसालों का मिश्रण, आग, चाक़ू और भी बहुत कुछ, जिसे अक्सर पूर्ण दृष्टि वाले व्यक्ति भी ठीक से करने में विफल रहते हैं। धैर्य और अभ्यास के साथ इन लोगों ने इस विकलांगता से संघर्ष किया है। कुछ को जरूर कुछ सामाजिक समर्थन मिल जाता है लेकिन ज्यादातर के लिए यह यात्रा कठिन होती है।
प्रतिभागियों के लिए, जो पहले स्वयं खाना पकाने में इतने कुशल नहीं थे, अब हर बार जब वे खाना पकाने के लिए बर्तन उठाते हैं, या मसाले डालते हैं या फिर अगली सामग्री डालने का सही समय निर्धारित करते हैं तो वे गर्व महसूस करते हैं। उन्हें खाना बनाते देखने वालों के लिए उनकी हर हरकत प्रेरणादायक होती है।
अद्वितीय अवधारणा, प्रेरणादायक प्रतिभागियों और पिछले संस्करणों की सफलता ने प्रतियोगिता को एक बहुप्रतीक्षित घटना बना दिया है।