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मौलाना अबुल कलाम आजाद कल्याण संस्थान की ओर से सेंट्रल जेल अजमेर में कवि सम्मेलन /मुशायरा का आयोजन

संवाद।मो नज़ीर क़ादरी

अजमेर। मौलाना अबुल कलाम आजाद कल्याण संस्थान की ओर से सेंट्रल जेल अजमेर में हर साल की भांति इस साल भी कवि सम्मेलन /मुशायरा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रियदर्शी भटनागर एवम कमल गंगवाल ने जानकारी देते हुये बताया कि कवि सम्मेलन /मुशायरे मेंअजमेर के जाने-माने कवि एवं शायरों ने भाग लिया, जिसमें मुख्य रुप से वरिष्ठ कवि बख्शीश सिंह, सैयद सादिक अली “ज़की,”गोविंद भारद्वाज, मधु खंडेलवाल, ध्वनि मिश्रा, डॉ विनीता जैन, तेज सिंह कच्छावा,राजेश भटनागर, सुमन शर्मा, पायल गुप्ता एवं डॉ मंसूर अली “आजाद” मोजूद रहे।कार्यक्रम का सफल संचालन कमल गंगवाल ने किया सफल संचालन को देखते हुए जेल अधीक्षक द्वारा कमल गंगवाल का स्वागत किया गया। कवि सम्मेलन का सफल संचालन सुश्री सुमन शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर नवाज़ उल हक ने की, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर रामलाल जी जाट साहब एडीजे जिला विधिक प्राधिकरण रहे।
जाट साहब ने भी अपने उद्बोधन में एक शेर सुनाया कि “हवा के रुत में दिया जलाना,जलाकर रखना कमाल यह है।
कार्यक्रम में संस्थान की तरफ से डॉक्टर मन्सूर अली, प्रियदर्शी भटनागर, कमल गंगवाल, हसन मोहम्मद खान, बाबर खान, अनिल कश्यप, अक़ील अहमद, विजय पांड्या, संजय लड्डा, ज्ञानेंद्र सिंह नयाल आदि मौजूद रहे।
संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सैयद मन्सूर अली ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी कवि एवम शायरों ने अपनी देश भक्ति केदियो को सुधारने हेतु रची गई अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मन्त्र- मुग्ध कर दिया।
डॉ मन्सूर आज़ाद ने अपनी रचना का इज़हार कुछ इस तरह किया
शिकवे गिले भुला कर उल्फत को हम बढ़ाएं।
मिलजुल कर आओ जश्न ए आजादी हम मनाएं।।
ऐसा लगे दिवाली और ईद आ गई है।
सबको गले लगाएं, घर कर दिए जलाएं।।
ध्वनि मिश्रा द्वारा कुछ यूं तालियां बटोरी गई आंख क्यों भर गई होगी बात दिल में उतर गई होगी।
फूल गुमसुम उदास है,खुशबू वो ज़रा बन संवर गई होगी।।
डॉ विनीता जैन ने कुछ इस तरह इज़हार किया,
रोशन है कायनात जिसके जमाल से उस वतन की बात कर।।
पायल गुप्ता “पहल”ने अपनी देश भक्ति का इजहार इन लाइनों से किया यह प्रार्थना में मैं केवल जन-गण-मन गाती हूं।।
शायर सैयद सादिक अली “ज़की” ने अपना कुछ इस अंदाज में गजल पेश की बताऊं कैसे जो दिल पर गुजरने वाली है।
वफा की नाव भंवर में उतरने वाली है।।
वरिष्ठ कवि बख्शीश सिंह ने इस प्रकार कहा कि
हमारा देश महान,
ना कोई हिंदू सिख ईसाई ना कोई मुसलमान।।
राजेश भटनागर ने अपनी ग़ज़ल और गीत सुना कर खूब तालियां बटोरी उन्होंने कहा कि।
कर्ज़ माटी का कुछ इस तरह चुका दूं मैं।
वतन की शान में ये अपना सिर कटा दूं मैं।
मधु खंडेलवाल “मधुर” ने अपना इज़हार इस तरह किया कि।
उल्फत में हम जिस पर भरोसा कर बैठे दिलदारी में ।
किसको पता था वह लूटेगा मुझको यारा यारी में।
गोविंद भारद्वाज ने अपनी कविता इस प्रकार कही।
चांद उतरा है, गगन से इश्क की खातिर।
उड़ चली तितली चमन से इश्क की खातिर।।
कार्यक्रम के अंत में जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल जी द्वारा संस्थान का हृदय से आभार प्रकट किया और आइंदा भी इसी प्रकार के कार्यक्रम करने के लिए कहा गया अंत में संस्थान की तरफ से प्रियदर्शी भटनागर द्वारा सभी जेल प्रशासन एवं कवि गण का आभार व्यक्त किया गया