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एन. एम.डी. एफ.सी.ने मनाया विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

दिल्ली । (डीवीएनए)स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 14 अगस्त को 1947 में हुए विभाजन की विभीषिका को याद किया। मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम(एन.एम.डी.एफ.सी.) ने दिल्ली के डॉ.अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” नाम से कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों, मंत्रालय के आला अधिकारियों के अलावा तमाम वक्ताओं और आम लोगों ने हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाओं और स्कूली बच्चों ने शिरकत की।

कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत किया गया। उपस्थित वक्ताओं ने इतिहास के पन्ने उलटते हुए 1947 में हुए भारत के विभाजन को सबसे बड़ी त्रासदी बताया। उन्होंने कहा कि 1947 में सिर्फ़ भारत का विभाजन ही नहीं हुआ, इंसानियत भी लहूलुहान हुई। डॉ. शेरनाज़ कामा, पद्मश्री जितेंदर सिंह शंटी, ख्वाजा इफ्तिखार अहमद, अख्तारूल वासी, एस.एम.खान और प्रो.डॉ.प्रमोद कुमार मेहरा ने बंटवारे को याद करते हुए उसके तमाम पहलुओं पर विस्तार से रौशनी डाली।

वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि विभाजन के समय दोनों तरफ से सरहद पार करने में लाखों लोगों को बहुत तकलीफ़ से गुज़रना पड़ा। वो ऐसा दर्द था जिसको महसूस करते हुए भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन भारत में जिन लोगों को शुरू में शरणनार्थी कहा गया उन्होंने अपनी मेहनत से न सिर्फ़ ख़ुद को अपने पांव पर खड़ा किया बल्कि कामयाब भी बनाया। ये भारत की मिट्टी का कमाल है। धर्म और जाति से ऊपर उठ कर हम सभी पहले भारतीय हैं लिहाजा भारत और भारतीयता की बात प्रमुखता से होनी चाहिए।

वक्ताओं ने ये भी कहा कि विभाजन को टाला जा सकता था लेकिन तत्कालीन कुछ लोगों की वजह बंटवारा हुआ। विभाजन के साथ साथ इंसानियत भी लहूलुहान हुई थी। जितेंदर सिंह शंटी ने मंत्रालय और एन.एम.डी.एफ.सी. को सुझाव देते हुए कहा कि विभाजन की त्रासदी से जुड़े तमाम तथ्यों को एक किताब की शक्ल देकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम किया जाए जिससे नई उम्र के बच्चों को सही सटीक जानकारी मिल सके। सभी वक्ताओं ने राष्ट्रभक्ति को आधार बना कर राष्ट्रीय एकता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

कार्यक्रम के अंत में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और एन.एम.डी.एफ.सी. के सीएमडी डॉ. राकेश सरवाल ने कार्यक्रम में शामिल होने और संबोधित करने के लिए सभी विशिष्ट अतिथियों, आगंतुकों का आभार जताया। डॉ. सरवाल ने “आज़ादी के अमृत महोत्सव” अभियान की सराहना करते हुए कहा पूरी दुनिया में भारत की साख तेज़ी से बढ़ी है। वो दिन दूर नहीं जब भारत को एक विकसित राष्ट्र के अलावा आध्यात्मिक राजधानी के तौर पर शानदार पहचान मिलेगी और भारत विश्व गुरु बनेगा।

मंच पर मौजूद पैनल में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी श्रीनिवास डांडा की ख़ास मौजूदगी रही। कार्यक्रम में मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान के सेक्रेटरी एस.पी.सिंह तेवतिया और एन.एम.डी.एफ.सी. के तमाम अधिकारियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।

संवाद:- दानिश उमरी