अन्य

भारत में सबसे कम उम्र, मात्र 17 महीने के बच्चे में इम्प्लान्ट किया गया इम्प्लान्टेल कार्डियोवर्टर- डीफाइब्रिलेटर

संवाद , सादिक जलाल (8800785167 )


नई दिल्ली, : जेनेसिस फाउन्डेशन ने सत्रह महीने के बच्चे थॉमस (बदला हुआ नाम) में इम्प्लान्टेबल कार्डियोवर्टर-डीफाइब्रिलेटर को सफलतापूर्वक इम्प्लान्ट किए जाने की घोषणा की है। इसी के साथ यह बच्चा ओपन चेस्ट सर्जरी के द्वारा आईसीडी इम्प्लान्ट करने वाला भारत का सबसे कम उम्र का बच्चा बन गया है। उनके सीएसआर पार्टनर विप्रो जीई हेल्थकेयर के सहयोग, अग्रणी विश्वस्तरीय तकनीक एवं डिजिजटल समाधानों के साथ परिवार को ज़रूरी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई और छोटे बच्चे की जान बचाई गई। 22 जुलाई को डॉ विजयकुमार, डायरेक्टर-सेंटर फॉर पीडिएट्रिक कॉनजेनाइटल हार्ट डिज़ीज़, जी कुप्पुस्वामी नायडु मैमोरियल हॉस्पिटल, (जीकेएनएम अस्पताल), कोयम्बटूर द्वारा बच्चे की सर्जरी की गई।


यह सर्जरी अपने आप में खास है क्योंकि आमतौर पर आईसीडी डिवाइस ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा हार्ट में इम्प्लान्ट की जाती है, लेकिन थॉमस की उम्र को देखते हुए इस डिवाइस को हार्ट के उपर रखा गया है। बच्चे में जन्मजात दिल के रोग- लोंग क्यूटी सिंड्रोम का निदान किया गया था, यह एक दुर्लभ रोग है जिसमें कार्डियक रिदम ठीक नहीं होती, क्योंकि हार्ट को सही समय पर इलेक्ट्रिक इम्पल्स नहीं मिलते। इसके चलते मरीज़ बार-बार बेहोश होता है (सिनकोप) और कार्डियक अरेस्ट की वजह से उसकी मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे मामलों में आईसीडी डिवाइस या इम्प्लान्टेबल कार्डियोवर्टर डीफाइब्रिलेटर द्वारा हार्ट के इलेक्ट्रिकल इम्पल्स को नियमित कर मरीज़ को स्टेबल किया जाता है।


‘सर्जरी से पहले थॉमस को चार बार सिनकोप हुआ। उसकी किस्मत अच्छी थी कि चारों बार वह बच गया। थॉमस इतनी बड़ी सर्जरी के बाद दिल की गंभीर बीमारी पर जीत हासिल करने वाला बहादुर बच्चा है। वह जल्दी ठीक हो रहा है और हम सबने मिलकर कोशिश की है कि वह सामान्य जीवन जी सके।


डॉ विजयकुमार, पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जन, जीकेएनएम हॉस्पिटल, कोयम्बटूर ने कहा कि हर बच्चा कीमती होता है और हमारा मानना है कि इलाज के लिए पैसे न होने के कारण किसी बच्चे की जान नहीं जानी चाहिए। जेनेसिस फाउन्डेशन में हम दुर्लभ दिल के रोगों से पीड़ित ज़रूरतमंद बच्चों को सहयोग प्रदान करते हैं। हम जीकेएनएम अस्पताल और अपने सीएसआर पार्टनर विप्रो जीई के प्रति आभारी हैं जिन्होंने थॉमस को स्वस्थ और उज्जवल भविष्य देने के लिए हमें मदद की है।’