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यूनानी चिकित्सा आज राष्ट्रीय स्तर पर अधिक मज़बूत: प्रो. ख़ान

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी ने भारतीय चिकित्सा पद्धति को विश्व स्तर पर नई पहचान मिली है। शरीर को आंतरिक शक्ति प्रदान करने और भीतर से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले औषधीय पूरक की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है जिससे यूनानी चिकित्सा सहित भारतीय स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा मिला है, यह बातें प्रो. आसिम अली ख़ान, महानिदेशक, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने कही। वो मुख्य अतिथि के रूप में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की आयुष समिति द्वारा 31 अगस्त को आयोजित ‘यूनानी चिकित्सा की वैश्विक संभावनाएं’ पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। प्रो. ख़ान ने आगे कहा कि किसी भी प्रणाली की वैश्विक संभावनाएं उसकी राष्ट्रीय स्थिति पर आधारित होती हैं और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने यूनानी चिकित्सा तथा अन्य स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है जिसके कारण आज यूनानी चिकित्सा राष्ट्रीय स्तर पर अधिक मज़बूत स्थिति में है।

वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय आयुर्वेदिक कांग्रेस एवं आयुर्वेद महासम्मेलन और डॉ. एम. ए. क़ासमी, सलाहकार (यूनानी), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने विशेष भाषण दिया जबकि डॉ. ग़ज़ाला जावेद, प्रभारी, औषधि मानकीकरण अनुसंधान इकाई, के.यू.चि.अ.प., नई दिल्ली और डॉ. मोहम्मद खालिद, सहायक औषधि नियंत्रक (यूनानी), आयुष निदेशालय, दिल्ली सरकार वेबिनार के प्रख्यात वक्ता थे।