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अंत समय में प्रभु स्मरण से मिलती है जीव को मुक्ति – भागवताचार्य दिनेश दीक्षित

मुंबई वाली बगीची में बह रही भागवत कथा की त्रिवेणी, भाव विभोर हो रहे सैंकड़ों भक्त

आगरा।(डीएएनए) नींद में देखे गए सपने की तरह संसार झूठा है लेकिन मृग मरीचिका की तरह सत्य प्रतीत होता है। जब वास्तविकता का बोध होता है, तब यह जगत निस्सार लगने लगता है..ये उद्गार भागवताचार्य दिनेश दीक्षित ने शुक्रवार शाम खंदारी स्थित बंबई वाली बगीची में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन व्यक्त किए।

दिनेश दीक्षित ने भागवत के मंगलाचरण की व्याख्या करते हुए कहा कि हम सब उस शक्ति को नमस्कार करते हैं जिससे सारी दुनिया संचालित है। हम उस शक्ति को नमन करते हैं जिसने एक संकल्प से ब्रह्मा जी को वेद का ज्ञान दिया है।
भीष्म स्तुति के प्रसंग में उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अंत समय में भगवान को याद करता है, उसे मुक्ति मिल जाती है।
इस दौरान हे प्रभु मुझे बता दो, चरणों में कैसे आऊं भजन पर सब झूम उठे।


राजा परीक्षित मुरारी मोहन शर्मा, श्रद्धा दीक्षित, पूजा शर्मा, जेएस फौजदार, प्रभाकर शर्मा, डॉ. सतीश भदौरिया, वेद प्रकाश चंदेल, विक्की गुप्ता, उमेश पोपली (कालू), राजकुमार शर्मा, सुनील गुप्ता, गीता सिंह, पूनम रावत और लक्ष्मी लवानिया ने समापन पर भागवत जी की आरती उतारी।