जालौन।सूबे के जालौन में मिड-डे मील में में परोसी गई शाही थाली को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। 30 अगस्त को गांव मलकपुरा के उच्च प्राथमिक विद्यालय कंपोजिट में बच्चों को खाने में पनीर की सब्जी, पूड़ी, सेब, मिल्क सेक, आइसक्रीम और रसगुल्ला दिया गया था।
यह आयोजन कानपुर के एक बैंक में काम करने वाले सौरभ ने अपनी बर्थडे वाले दिन करवाया था। मगर, भाजपा नेता इस शाही थाली की फोटो पोस्ट कर वाहवाही लूट रहे हैं।
भाजपा नेता अरुण यादव ने थाली का फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, ”अगर यह थाली दिल्ली में मिल रही होती, तो अब तक यह खबर इंटरनेशनल बन चुकी होती। मगर, यूपी पर किसी का ध्यान नहीं गया है। इसके बाद दूसरे भाजपा नेताओं ने भी इस फोटो को शेयर किया। इन सारी खबरों के बीचसच्चाई जानने के लिए देश के एक हिंदी दैनिक के रिपोर्टर्स ग्राउंड पर पहुंचे।
सबसे पहले हम लोगों ने गांव के प्रधान अमित से बात की। अमित ने बताया, ”महीने माह से बच्चों के लिए ऐसे आयोजन महीने में 2 या 3 बार किए जाते हैं। गुजरात में एक सिस्टम है। उसके तहत अगर कोई व्यक्ति अपनी खुशियां बच्चों के साथ बांटना चाहे, तो वह विद्यालय के बच्चों के लिए खाना दे सकता है। ऐसा करने के लिए लोगों को गांव के प्रधान से ऑनलाइन संपर्क करना पड़ता है। उसके बाद बच्चों को रोज मिलने वाले खाने में और चीजों को भी जोड़ दिया जाता है। इससे बच्चों को स्वादिष्ट खाना मिल जाता है।”
अमित बताते हैं, ”उसी सिस्टम के तहत हम लोगों ने यह सर्विस जुलाई से अपने यहां भी शुरू की है। उसी के तहत बच्चों को 30 अगस्त को शाही थाली परोसी गई थी। रोज बच्चों को वही खाना मिलता है, जो सरकार की ओर से निर्धारित किया गया है। जब कोई आयोजन करवाता है, तब हम लोग स्पेशल खाना बनवाते हैं। इसका खर्च आयोजन करने वाला ही उठाता है।”
इसके बाद हमने उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों से बात की। उन्होंने बताया, ”हम लोगों को रोज ऐसा खाना नहीं मिलता है। कभी-कभी ही ऐसा खाना मिलता है। रोज नॉर्मल खाना ही दिया जाता है। जब किसी की शादी की सालगिरह हो या फिर जन्मदिन हो, उस दिन ही स्पेशल खाना मिलता है। उस दिन तो खाना खाकर मजा आ जाता है।”
शाही थाली की पड़ताल करने आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशाराम भी इस विद्यालय में पहुंचे। उन्होंने वहां पर बच्चों से बात की। जहां उन्हें पता चला कि यहां रोज ऐसा नहीं होता है। कभी कोई बाहर का व्यक्ति ऐसा आयोजन करवा देता है। इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बच्चों को खाना देना उनके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। अगर किसी बच्चे को कुछ हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।