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वसीम रिजवी को सीजेएम कोर्ट ने भेजा जेल, हेट स्पीच पर हुई थी एफआईआर

हरिद्धार : उप्र शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने शुक्रवार दोपहर हरिद्धार की सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। यहां से उन्हें कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने इसे दुख की घड़ी बताया। उन्होंने कहा, आज जब जितेंद्र नारायण त्यागी जेल जा रहे हैं तो हम सबका मन दुखी है। वसीम रिजवी सनातन धर्म में आ गए, लेकिन उन्हें मिला क्या? हम सबको उनका साथ देना चाहिए था, जो नहीं दिया। इस दौरान शांभवी पीठाधीश्वर और काली सेना प्रमुख आनंद स्वरूप भी मौजूद रहे।

रिजवी पर हेट स्पीच का आरोप है। 17 से 19 दिसंबर 2021 तक हरिद्वार के वेद निकेतन में धर्म संसद हुई थी। आरोप है कि इसमें एक समुदाय को खत्म करने जैसी बातें कही गईं।

ज्वालापुर निवासी गुलबहार खां ने हरिद्धार शहर कोतवाली में 23 दिसंबर 2021 को करीब 10 धर्मगुरुओं के खिलाफ हेट स्पीच की एफआईआर कराई थी। इसमें वसीम रिजवी भी एक थे। हरिद्वार पुलिस ने 13 जनवरी 2022 को वसीम रिजवी को यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। वे करीब 4 महीने तक जेल में रहे थे। इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई। 29 अगस्त 2022 को अंतरिम जमानत समाप्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने वसीम रिजवी को 2 सितंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया था।

हेट स्पीच के आरोप में वसीम रिजवी के साथ गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरि भी जेल गए थे। हालांकि उन्हें हरिद्वार कोर्ट से महज एक महीने के भीतर ही जमानत मिल गई थी।

वसीम रिजवी का धर्मांतरण कराने, उनकी पुस्तक मुहम्मद का विमोचन करने और उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में नरसिंहानंद गिरि की अहम भूमिका रही। हालांकि जिस दिन रिजवी जेल से बाहर आए, उसी दिन दोनों की राहें अलग-अलग हो गईं। तब से आज तक दोनों ने आपस में न कोई बातचीत की है और न ही मिलने का प्रयास किया है।