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के.यू.चि.अ.प. में हिन्दी भाषा के प्रयोग पर कार्यशाला का आयोजन

नई दिल्ली,  केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (के.यू.चि.अ.प.), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने आज आयुष सभागार, जनकपुरी, नई दिल्ली में हिंदी भाषा के प्रयोग पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।

इस अवसर पर हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार तथा दैनिक सरकारी कामकाज के साथ-साथ निजी जीवन में भी इसका अधिकतम उपयोग करने की आवश्यकता और जनादेश पर ज़ोर दिया गया।


श्री के. के. सपरा, सहायक निदेशक (प्रशासन), के.यू.चि.अ.प. ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि के.यू.चि.अ.प. में हिंदी भाषा में काम-काज का चलन बहुत बढ़ा है और इसे 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री कुमार पाल शर्मा, उप निदेशक (कार्यान्वयन), उत्तरी क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय-प् (दिल्ली), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय ने सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सभी हितधारकों से आह्वान किया कि जितना संभव हो सके अपने आधिकारिक कार्यों में हिंदी का उपयोग करें और अंग्रेजी के प्रभाव को कम करें।


श्रीमती पूर्णिमा बोस, सहायक निदेशक (राजभाषा), आयुष मंत्रालय ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और अपने मन एवं अंत विचार की भाषा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. नाहीद परवीन, सहायक निदेशक (यूनानी), के.यू.चि.अ.प. द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।
इस से पूर्व कार्यशाला की शुरुआत डॉ. मुख्तार आलम, प्रभारी, राजभाषा, के.यू.चि.अ.प. के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने के.यू.चि.अ.प. मुख्यालय और उसके अधीनस्थ कार्यालयों में त्रैमासिक हिंदी कार्यशाला आयोजित करने का आह्वान किया।
के.यू.चि.अ.प. के अनुसंधान अधिकारी (प्रकाशन) मोहम्मद नियाज़ अहमद ने कार्यशाला की कार्यवाही का संचालन किया जिसमें के.यू.चि.अ.प. के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।